नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को लेकर केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने की पूरी तैयारी कर ली है, बस समय तय नहीं है। इस मामले में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में विचार होना था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका।
सूत्रों की माने तो अध्यादेश में वही प्रावधान होंगे जोकि प्रस्तावित कानून और लोकसभा से पास हो चुके विधेयक में हैं। यानी तीन तलाक को गैर जमानती अपराध माना जाएगा और उसमें दोषी को तीन साल तक के कारावास की सजा हो सकेगी। इसके अलावा तीन तलाक पीडि़ता मजिस्ट्रेट की अदालत में गुजारा-भत्ता और नाबालिग बच्चों की कस्टडी की मांग कर सकती है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन दो के बहुमत से फैसला देते हुए एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) के चलन को असंवैधानिक करार दे निरस्त कर दिया था। तीन न्यायाधीशों ने बहुमत के फैसले में कहा था कि एक साथ तीन तलाक संविधान में दिए गए बराबरी के हक का हनन है। तलाक ए बिद्दत इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे संविधान में दी गई। इसके साथ ही कोर्ट ने शरीयत कानून 1937 की धारा 2 में तीन तलाक को दी गई मान्यता शून्य घोषित करते हुए निरस्त कर दी थी।
हालांकि अल्पमत से फैसला देने वाले दो न्यायाधीशों ने भी तलाक ए बिद्दत के प्रचलन को लिंग आधारित भेदभाव माना था, लेकिन कहा था कि तलाक ए बिद्दत मुस्लिम पर्सनल ला का हिस्सा है और इसे संविधान में मिली धार्मिक आजादी (अनुच्छेद 25) में संरक्षण मिलेगा, कोर्ट इसे निरस्त नहीं कर सकता। परन्तु अल्पमत से फैसला देने वाले न्यायाधीशों ने सरकार को तलाक ए बिद्दत के बारे में उचित कानून बनाने पर विचार करने को कहा था और राजनीतिक दलों से कहा था कि कानून पर विचार होते समय वे अपने राजनीतिक फायदों को एक किनारे रख कर कानून की दिशा में जरूरी उपाय करें। उन्होंने कानून बनने तक तीन तलाक देने पर रोक लगा दी थी।
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