नई दिल्ली। असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार फाइनेंशियल सिक्यॉरिटी स्कीम शुरू करने पर विचार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले 10 करोड़ लोगों को रिटायरमेंट के बाद सरकार पेंशन गारंटी देने की योजना पर काम कर रही है। इस दायरे में वह लोग आएंगे जिनकी सैलरी 15 हजार रुपये से कम है।
इस योजना में घरेलू नौकर, ड्राइवर, प्लबंर, बिजली का काम करने वालों, नाइयों और उन दूसरे कामगारों को फायदा हो सकता है। लेबर मिनिस्ट्री ने यह प्रस्ताव फाइनेंस मिनिस्ट्री को दिया है। सरकार का भी मानना है कि वर्कफोर्स के इस हिस्से को कोई सोशल सिक्यॉरिटी दी जानी चाहिए, क्योंकि रिटायरमेंट की उम्र के आसपास पहुंचने पर वे अपनी आजीविका का इंतजाम नहीं कर सकते।
यह स्कीम लागू होने पर सालाना 1200 करोड़ रुपये की जरूरत होगी और यह देश के 50 करोड़ वर्कर्स को यूनिवर्सल सोशल सिक्यॉरिटी देने के सरकार के विजन की दिशा में एक कदम हो सकता है। अभी न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये महीने की है। इसके लिए 18 साल की उम्र से काम शुरू करने वाले किसी वर्कर को 20-25 साल के काम के दौरान मामूली मासिक अंशदान करना होगा और इस स्कीम के लिए उतना ही अंशदान केंद्र की ओर से आएगा। यह स्कीम कई चरणों में लागू की जाएगी और इसके पहले चरण के तहत आंशिक कवरेज दी जाएगी।
भारत में करीब 50 करोड़ की वर्कफोर्स है, जिसमें से 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम करता है। ऐसे वर्कर्स को प्राय: सरकारों की ओर से तय न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता और न ही पेंशन या हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सोशल सिक्यॉरिटी मिल पाती है। 15000 रुपये महीने से ज्यादा सैलरी वाले एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन या एंप्लॉयीज स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के तहत कवर्ड हैं, लिहाजा पहले चरण में उन्हें प्रस्तावित स्कीम के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
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