
यूनिक समय, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन ने राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब, प्रदेश के सभी इंटर कॉलेजों को इस पहल में शामिल किया जाएगा और छात्रों को 400-450 घंटे का एक सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान किया जाएगा। इस कोर्स में प्रतिदिन डेढ़ घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य रहेगा।
इस नए बदलाव के तहत, छात्रों को राष्ट्रीय स्तर का प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो डिजिटल लॉकर और अपार आईडी में सुरक्षित रहेगा। इसका उद्देश्य छात्रों को उच्च गुणवत्ता का प्रशिक्षण देना और प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाना है।
अब तक प्रदेश के 650 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में ‘प्रोजेक्ट प्रवीण’ के तहत यह प्रशिक्षण दिया जा रहा था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर सभी माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम की गाइडलाइनों को भी और अधिक सख्त किया गया है।
आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षण देने वाले विद्यालयों को कौशल विकास मिशन के पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, सोशल मीडिया निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिल सके।
नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (NCVT) के मानकों के अनुसार, सभी विद्यालयों में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित होंगे और छात्रों को मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय प्रमाण पत्र मिलेगा।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता के प्रमुख सचिव, डॉ. हरिओम, इस पहल के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम को गुणवत्तापूर्ण और पारदर्शी बनाने पर विशेष जोर दे रहे हैं। प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत पिछले महीने में 26,000 छात्रों ने पंजीकरण कराया है। इस वर्ष 8 नए कॉलेजों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया है, और जल्द ही यह अभियान सभी माध्यमिक विद्यालयों में लागू होगा।
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