नई दिल्ली। वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यहां तक की उनके चुनाव लड़ने पर भी संशय बढ़ गया है. दरअसल, तेज बहादुर की ओर से दाखिल नामांकन पत्र में अर्धसैनिक बल से बर्खास्तगी को लेकर दो अलग-अलग दावे किए गए हैं। इस मामले में अब जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने तेज बहादुर को नोटिस जरी किया है।
जवाब देने के लिए दिया वक्त
जिला निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर को 1 मई सुबह 11 बजे तक जवाब देने का समय दिया है. तय समय पर जवाब नहीं देने की स्थिति में उनका पर्चा खारिज भी हो सकता है. बता दें कि तेज बहादुर ने वाराणसी सीट से पहले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया. इस तरह वह गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतर गए.
नामांकन वापस लेने को तैयार नहीं शालिनी
बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने जिस शालिनी यादव का टिकट काटा है वो पूर्वांचल के बड़े राजनीतिक घराने से संबंध रखती हैं. वो अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से उम्मीदवार हैं. क्योंकि उन्होंने अभी नामांकन वापस नहीं लिया है. उनका अपना जनाधार है. इसलिए सपा के नए उम्मीदवार और बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. शायद इसीलिए पार्टी अब शालिनी के मान मनोव्वल करने में जुटी हुई है.
शालिनी यादव पूर्वांचल में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे श्यामलाल यादव की बहू हैं. वो 22 अप्रैल को ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हुई थीं. शालिनी यादव ने कहा है कि अगर अखिलेश यादव कहेंगे तो वह अपना नामांकन वापस ले लेंगी, लेकिन अगर पार्टी की तरफ से नहीं कहा जाएगा तो ऐसा नहीं करेंगी. चुनाव लड़ेंगी.
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