बिहार की राजनीति में एक दौर था जब नेता खुद चुनाव न लड़ पाने की स्थिति में अपनी पत्नी या बेटे को चुनाव मैदान में उतार देते थे. लेकिन समय बदलने के साथ ये परिपाटी बदल रही है. अब नेताओं ने अपने घर की बहू और बेटियों को मौका देना शुरू किया है. इसके कई उदाहरण हैं. जानिए इस बार के विधानसभा चुनाव में ऐसी कौन-कौन सी बेटियां और बहुएं हैं जो पिता या ससुर की राजनीतिक विरासत की दावेदार के रूप में सामने हैं…
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पुष्पम प्रिया चौधरीः जदयू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी के बेटी पुष्पम एजुकेशन में लंदन रिटर्न हैं. अपने पिता की पार्टी से राजनीति शुरू करने की बजाय उन्होंने खुद की प्लूरल्स पार्टी गठित की है और इस बार पूरे राज्य में चुनाव लड़ने जा रही हैं. वह खुद मधुबनी जिले के बिस्फी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगी. माना जा रहा है कि पिता विनोद चौधरी ने बेटी को अपने सपने पूरा करने के लिए सहमति दी है.
श्रेयसी सिंहः बिहार के चर्चित नेताओं में से एक स्व. दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयशी सिंह इस बार चुनाव में पिता और मां की राजनीतिक विरासत को संभालने आ रही हैं. भाजपा के टिकट से वह अपना पहला चुनाव लड़ेंगी. श्रेयशी को शूटिंग गेम्स में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है. मां पुतुल देवी सांसद रह चुकी हैं.
दिव्या प्रकाशः राजद नेता एवं पूर्व मंत्री जय प्रकाश नारायण की बेटी दिव्या प्रकाश भी अपने पिता के राजनीतिक अनुभवों के आधार पर उनके पदचिह्नों पर चलने के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं. वह राजद के टिकट पर पहली बार तारापुर सीट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं. दिव्या का सपना है कि वह अपने पिता की कर्मभूमि तारापुर के लिए बहुत कुछ करें.
मीना कामतः जदयू नेता कपिलदेव कामत स्वास्थ्य कारणों से इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतर रहे. अब उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनकी छोटी बहू मीना कामत आ रही हैं. वह इस बार बाबूबरही सीट से जदयू प्रत्याशी है. पूर्व में वह जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं.
शालिनी मिश्राः जदयू ने इस बार केसरिया विधानसभा सीट से शालिनी मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. शालिनी पूर्व सांसद स्व. कमला मिश्र मधुकर की बेटी हैं और उनकी मां डॉ. कामना मिश्रा भी राजनीति में सक्रिय थीं. शालिनी मार्केटिंग में एमबीए करने के बाद करीब 22 वर्षों तक विभिन्न कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं. अब जदयू के टिकट पर अपने पिता और मां के राजनीतिक विरासत को आगे ले जाना चाहती हैं.
नीतू सिंहः बिहार के पूर्व पशुपालन राज्यमंत्री स्व. आदित्य सिंह की बहू नीतू सिंह इस बार हिसुआ विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं. वह अपने ससुर और पति शेखर उर्फ पप्पू सिंह के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगी. पति पप्पू सिंह की छवि दबंग किस्म की है लेकिन नीतू पति की छवि से अलग समाजसेवी छवि लेकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहीं हैं.
डॉ. निक्की हेम्ब्रमः भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक सोनेलाल हेम्ब्रम की बहू डॉ. निक्की एक बार फिर से कटोरिया विधानसभा सीट पर भाजपा की उम्मीदवार बनी हैं. ससुर की तबीयत खराब होने के पिछले चुनाव में वह भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन राजद की प्रत्याशी से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. डॉ. निक्की कटोरिया पूर्वी की जिला परिषद सदस्य भी रह चुकी हैं. पिछले कुछ वर्षों से ससुर की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए सक्रिय हैं.
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