नरेन्द्र मोदी के जीवन के 6 तथ्य जिन्हें जानना आवश्यक है|
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिनके लोग दीवाने हैं। उनकी कही बात पर जान लुटाने को तैयार हैं। लेकिन हम उनके बारे में क्या जानते हैं? वह कौन हैं? कैसे हैं? उनकी आदतें क्या हैं? आइए हम उनके जीवन के कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताते हैं जिनसे शायद आप अपरिचित हों।
- जीवनपरिचय-
इनका जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था। एक ज्योतिषी ने इनकी कुंडली देखकर कहा था कि राजनीति में इनकी अच्छी पकड़ रहेगी। इनकी माँ का नाम हीरा बेन है। इनके चार भाई और बहन हैं। इनकी पत्नी का नाम जसोदा बेन है, शादी के तुरंत बाद दोनों अलग हो गए थे।
2. रहन-सहन-
इनकी व्यक्तिगत आदत में स्वच्छ, इस्तरी किए हुए शिकन मुक्त कपड़े पहनना है। यह आदत इनमें किशोरावस्था से है। उस समय यह पीतल के लोटे में गरम पानी भरकर शर्ट पर इस्तरी करते थे। वह अपनी वस्त्र सज्जा पर ध्यान देते हैं। उनके पास अनेक कुर्ते हैं जो अहमदाबाद के उनके मनपंसद दर्जी द्वारा सिले गए हैं। इन्हें कलाई घड़ियों और सैंडिलों का शौक है। इनमें स्वच्छता का उन्माद है। यह अपने आस-पास हर वस्तु स्वच्छ रखते हैं।
3.स्वास्थ्य-
इनका वजन लगभग 84 किलो है। रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से में समस्या होने के कारण कई बार इन्हें पीठ दर्द होता है। लंबे समय तक खड़े रहने के कारण पैरों में सूजन आ जाती है। लेकिन यह सब सामान्य स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। इनके अतिरिक्त इन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या नहीं है।
4. कार्यशैली-
मोदी वर्कहॉलिक हैं। वह केवल पाँच घंटे सोते हैं, कभी-कभी उससे भी कम। सुबह 7 बजे या उससे भी पहले वह गुजरात के लोगों के लिए ऑन लाइन हो जाते थे, आज वह पूरे भारत के लिए सुबह 7 बजे से ऑन लाइन रहते हैं। वह सुबह जल्दी कार्यालय जाते हैं और आवश्यकता होने पर रात्रि 10 बजे तक कार्य करते हैं। वह एक ऐसे नेता हैं जो राष्ट्रीय लोकतंत्र सरकार के प्रधानमंत्री बन कर भी राजनीति में अपनी पकड़ ढीली न पड़ने देने के सभी प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए भले ही उन्हें कोई भी और कितना भी कार्य करना पड़े, वह पीछे नहीं हटते।
5. व्रत-त्योहार-
वह हर साल नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं। इस समय वह एक दिन में केवल एक फल खाते हैं। वह नवरात्र पर विशेष भोजन से परहेज करते हैं, जिसे पारंपरिक रूप से दिन में एक बार किया जाता है। वह देवी अंबा की भक्ति के लिए उपवास करते हैं। माँ अंबा की भक्ति के प्रति श्रद्धा के कारण उन्होंने गब्बर पहाड़ी पर 70 करोड़ रूपए से अधिक धनराशि की शक्तिपीठ परिक्रमा का निर्माण किया है। जो भक्तों के लिए एक पवित्र स्थान है।
6. आर.एस.एस. केप्रचारक-
इन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में पर्याप्त समय बिताया है, इन्होंने बाल स्वयं-सेवक के रूप में 8 साल की उम्र में आर.एस.एस. से निष्ठा की शपथ ली। इनकी चाय की दुकान के पास से संघ के कई प्रचारक और स्वयं सेवक गुजरते थे। मोदी के स्वयं सेवक होने की जानकारी मिलने पर चाय की दुकान उनका अड्डा बन गई। इन्हें संघ के कार्यालय में रहने का न्योता मिला। जहाँ सुबह उठकर वह प्रचारक और कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ता बनाकर शाखा जाते। लौटकर कार्यालय का झाडू-पोंछा करते, कपड़े धोते थे तथा अन्य कार्य करते थे। आपात काल के समय इन्होंने भूमिगत होकर कार्य किया। 1985 में आरक्षण विरोधी आंदोलन के समय संघ ने भाजपा के विभिन्न पदों पर अपने प्रचारकों की भरती की। 1987 में इन्हें गुजरात भाजपा का संगठन मंत्री बनाया गया।
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