बाहुबली मुख्तार अंसारी के कई ठिकानों पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने छापेमारी की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईडी ने मुख्तार अंसारी के दिल्ली, लखनऊ, गाजीपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के घरों पर छापेमारी की है। इसके अलावा अंसारी के भाई अफजल अंसारी के मुहम्मदाबाद स्थित घर पर भी ईडी ने रेड मारी है। बता दें कि मुख्तार अंसारी इस समय यूपी की बांदा जेल में बंद है। उसे पंजाब से बांदा जेल शिफ्ट गया था। पंजाब की जेल में मुख्तार अंसारी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देने के आरोप लगे थे।
मुख्तार अंसारी का नाम क्राइम की दुनिया में सबसे पहले 1988 में आया। मुख्तार ने मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या कर दी। इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कॉन्स्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की बनारस में हत्या कर दी गई और इसमें भी मुख्तार अंसारी का ही नाम सामने आया।
1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह का कब्जा हो गया था। अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह में दुश्मनी हो गई। कहा जाता है कि 1991 में मुख्तार अंसारी को पुलिस ने चंदौली में धर दबोचा लेकिन वो दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार हो गया था। – इसके बाद उसने अंडरग्राउंड रहते हुए सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को हैंडल करना शुरू किया।
1996 में मुख्तार पहली पहली बार विधायक बना। उसे मायावती ने अपनी पार्टी बसपा से टिकट दिया। विधायक बनते ही उसने माफिया ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया। 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला करवाया, जिसमें उसके तीन लोग मारे गए। हालांकि, इसमें ब्रजेश सिंह भी घायल हुआ।
अक्टूबर 2005 में मऊ जिले में हिंसा भड़की। इसके बाद अंसारी पर कई आरोप लगे। इसी दौरान अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। तभी बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उनके 5 साथियों की गोली मार हत्या कर दी गई। मुख्तार अंसारी पर आरोप है कि उसने ही शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक उर रहमान उर्फ बाबू की मदद से कृष्णानंद राय की हत्या करवाई। इस हमले के गवाह शशिकांत राय की भी 2006 में हत्या कर दी गई। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह मऊ छोड़कर भाग गया था। बाद में उसे 2008 में ओडिशा से पकड़ा गया था।
यूपी की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी का प्रभाव माना जाता था। 1985 से लगातार ये सीट अंसारी परिवार के कब्जे में रही। हालांकि, 2002 में बीजेपी के उम्मीदवार कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हराकर उस सीट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही कृष्णानंद राय मुख्तार अंसारी के निशाने पर आ गए थे। 29 नंवबर, 2005 को बीजेपी विधायक कृष्णनंद राय गाजीपुर के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में आयोजित एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर घर लौट रहे थे, तभी बसनिया चट्टी के पास कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 से हमला कर दिया गया। इस हमले में 500 राउंड फायरिंग की गई थी।
मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए माफिया डॉन ब्रजेश सिंह ने लंबू शर्मा को 6 करोड़ रुपए की सुपारी दी थी। इसका खुलासा साल 2014 में लंबू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद हुआ था। इसके बाद से जेल में मुख्तार अंसारी की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। बता दें कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा लगते हैं।
यूपी की मऊ सीट से बसपा के विधायक रहे मुख्तार अंसारी पर 52 केस दर्ज हैं, जिनमें हत्या, अपहरण लूट जैसे कई गंभीर अपराध शामिल हैं। इनमें से 15 केस ट्रायल स्टेज में हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन को दिए शपथ पत्र के मुताबिक, मुख्तार अंसारी के परिवार के पास 27 लाख रुपए से ज्यादा कीमत के हथियार हैं। इनमें बीवी के नाम पर ढाई लाख रुपए की एक रिवॉल्वर, जबकि परिवार के बाकी लोगों के नाम पर दो डीबीबीएल शॉर्ट गन, दो राइफल, एक पिस्टल और कारतूस हैं।
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