सर्दी में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, लकवा और ब्रेन स्ट्रोक के मरीज?

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ठंड का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जनजीवन अस्त-वयस्त हो गया है। साथ ही अलग-अलग बीमारियों के शिकार मरीजों को भी काफी दिक्कतें हो रही हैं। वहीं हार्ट अटैक के केस भी सामने आए हैं।
दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में शीतलहर और ठंड का सितम जारी है। कड़कड़ाती ठंड ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में दिल्ली को लोगों को सावधान रहने की हिदायत के साथ-साथ ऑरेंज अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. इसी बीच दिल्ली समेत उत्तर भारत में हार्ट अटैक, लकवा, ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसे देखते हुए एबीपी लाइव ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि दिल्ली और दूसरे राज्यों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम होने का मतलब है कि क्षेत्र में ठंड काफी है। इसकी वजह से शरीर की नसें सिकुड़ जाती हैं, रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिनको धमनियों की शिकायत है, वह भी बढ़ जाती हैं। इस बार तो उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से कम देखा जा रहा है, जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, ब्रेन स्ट्रोक, लकवा और हार्ट अटैक की समस्या आम दिनों की तुलना में अधिक देखी जा रही है। साथ ही अब खान-पान में लापरवाही भी इस चुनौती को और बढ़ा दे रही है।लाइफस्टाइल की वजह से सबसे अधिक खतरा 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को है, जिनमें हार्ट अटैक , हाई ब्लड प्रेशर और ब्रेन स्ट्रोक की अधिक समस्या देखी जा रही है। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अपने शरीर का रूटीन चेकअप करवाया जाए। प्रशिक्षित लोगों से सलाह के साथ योग प्राणायाम और घर में रहते हुए एक्सरसाइज किया जाए। शराब और धूम्रपान के सेवन से पूरी तरह बचा जाए।
साथ ही हरी सब्जियां, संतुलित आहार और तले-भुने खाने से परहेज कर, अच्छे खान-पान, ठंड से बचाव और संयमित दिनचर्या को स्वीकारते हुए इन समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके अलावा व्यक्ति को अगर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट की समस्या पहले से है तो चिकित्सक सलाह के साथ इसकी दवाइयां समय-समय पर लेते रहे और अपने जीवन में तनाव को बिल्कुल भी हावी न होने दें। इसके अलावा सिटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड , डायग्नोसिस और दूसरे जांच के माध्यम से समय रहते हैं। रोग के बारे में जानकारी होती है, जिससे सही समय पर मरीजों को इलाज भी मिलता है। इसके साथ ही भारत की प्राचीन विरासत- पद्धतियां, खान-पान, दिनचर्या, योग प्राणायाम, पौष्टिक आहार भारत के रोग प्रतिरोधक क्षमता को शुरू से ही शक्तिशाली बनाए हुए हैं, जिससे आज भी अनेक रोगों से लड़ने में काफी सहायता मिलती है।

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