कान्हा की गायें सड़कों पर क्योंं…..

संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। यदि आज कान्हा होते और अपनी प्रिय गायों की हालात देखते तो कितने दुखी होते। शायद इसकी बात की कल्पना आज कल के लोग नहीं कर सकते। इस बात को इसलिए कहा जा रहा है कि शहर से लेकर गांव तक हर एक छोटी बड़ी गली और खेत खलियान में गोवंशों का खुले रुप में देखा जा सकता है। गोवंश के आतंक से आए दिन किसी ना किसी को चोटिल होने की खबर सामने आती रहती है।
गौरतलब है कि गौ सेवकों, ट्रस्टों और आपसी लोगों के सहयोग से सैकड़ों गोवंशों को गौशालाओं में भिजवाया भी जाता है लेकिन कुछ समय बाद उतना ही गोवंश सड़कों फिर से दिखाई देने लगता है। सड़कों के किनारे बसे गांव और खेतों में खड़ी फसलों को यह गोवंश खाकर और पैरों तले दबाकर नष्ट कर देते हैं। इससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। वहीं यह आवारा गोवंश शहर की गंदगी, पॉलीथिन और कूड़ा करकट को खाते दिखाई देते हैं, जो कि उनकी सेहत के लिए तो बहुत ही खतरनाक होता है, तो कभी-कभी आपस में लड़ने से किसी ना किसी को चोटिल करते रहते हैं।

आपको बता दें कि जिले में लगभग डेढ़ सौ से अधिक गौशालाएं बनी हुई हैं।इनमें 44 गौशालाएं पंजीकृत हैं जो कि आश्रमों के निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित की जाती हैं। वहीं 38 गौशालाएं विकासखंड, नगर निगम, और नगर पालिका द्वारा चलाई जा रही हैं और शेष गौशालाएं अलग-अलग ट्रस्ट और संस्था द्वारा निजी हैं।

इनमें से पंजीकृत गौशालाओं के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बजट का भी प्रावधान है। जिसमें 30 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से एक गाय को चारा और दाना पानी के लिए मिलता है। यह बजट जनपद में अधिकतर गौशालाओं के लिए वर्ष भर का बजट है जिसमें अलग-अलग तरीके की गौशालाओं और उनके अलग-अलग हिसाब के लिए जारी किया जाता है। लेकिन जनपद में तमाम गौशालाओं के होते हुए भी आवारा गोवंशो पर लगाम नहीं लग पा रही है। बल्देव क्षेत्र में गोवंशों का बहुत बड़ा आतंक किसानों की खडी फसलों पर मंडराया रहता है। उन्हें अपनी खेतों पर फसल की रखवाली के लिए रातभर जागना पड़ता है।

शहर में भी इन गोवंशों का आतंक अछूता नहीं है। आए दिन सड़कों और बाजारों में इनके आतंक। से लोग परेशान हैं। शहर की हर एक गलियों और बाजारों में यह आवारा गोवंश गंदगी और पॉलिथीन को खाते हुए दिखाई देते हैं।

आवारा गोवंश पर पूर्णत लगेगी लगाम
यूनिक समय, मथुरा। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेन्द्र पंवार ने बताया कि पिछले दो-तीन सालों से गोवंश पर अधिक लगाम लगाई जा रही है। 92% आवारा गोवंशों पर लगाम लगाकर लोगों के सहयोग से इनको गौशालाओं में पहुंचा दिया है। जिले में 150 से अधिक गौशालाओं में 80000 से ज्यादा गोवंश हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में जनपद में तीन गोशालाओं का निर्माण किया जाना है जिसके लिए जमीन प्रस्तावित की जा रही है। संभवत कुछ महीनों बाद आवारा गोवंश पर पूर्णत लगाम लगाई जा सकेगी।

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