नई दिल्ली। लैंडर विक्रम जब 07 सितंबर को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रहा था, तो ये क्रैश हो गया और उसके बाद से इसरो से इसका कोई संपर्क लाख कोशिश के बाद भी नहीं हो सका. यहां तक दुनिया की सबसे बड़ी और सक्षम स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने भी विक्रम से संपर्क की कोशिश की लेकिन उसका जवाब नहीं मिला. अब जबकि चांद पर रात के 14 दिन होने वाले हैं तो माना जा रहा है कि इस दौरान विक्रम से संपर्क की रही-सही उम्मीदें भी खत्म हो जाएंगी. लेकिन इसी बीच एक सवाल भी उठ रहा है. एक चीनी पत्रकार ने इस बारे में ट्वीट करके सवाल
ये सवाल ये उठ रहा है कि क्या इसरो ने केवल 14 दिनों के लिए ही लैंडर विक्रम को चांद पर भेजा था, क्योंकि उन्होंने उसमें वो थर्मल उपकरण नहीं लगाया था, जो इस लैंडर को चांद पर रात होने की सूरत में ठंड से बचाता और गर्म रखता.
दरअसल चांद पर रातें बहुत ठंडी होती हैं. तापमान माइनस 200 डिग्री से नीचे चला जाता है, ऐसे में लैंडर विक्रम के सही सलामत रहने की संभावनाएं एकदम ही खत्म हो जाएंगी. इतनी ठंड को विक्रम के अंदर लगे उपकरण बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे, वो जवाब दे देंगे.
तब किसी को नहीं दिखेगा विक्रम
इसके अलावा अगले 14 दिनों में ठंडे कहे जाने वाले चांद के साउथ पोल में चंद्रमा पर बर्फ की ऐसी परत जम सकती है कि फिर ये किसी आर्बिटर को शायद ही नजर आए. तब ना तो इसरो का चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगता हमारा आर्बिटर तलाश पाएगा और ना ही नासा का आर्बिटर.
यानि ये 14 दिन लैंडर विक्रम की कहानी को पूरी तरह खत्म कर देंगे. अब हम जानते हैं उस उपकरण के बारे में जिसके नहीं होने पर सवाल उठ रहे हैं. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रकाशित ते यांग पार्क, जांग जून ली और ह्यून ओंग ओ ने इस बारे में एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है, प्रारंभिक थर्मल डिजाइन और रात में चांद पर लैंडर के बचाव का विश्लेषण इसमें कहा गया है कि चांद एक दिन पृथ्वी के करीब एक माह के बराबर होता है. इसमें 14 दिनों का दिन और लगातार 14 दिनों की रात होती है. ये रातें बेहद ठंडी होती हैं. लिहाजा ऐसे में जब चांद पर कोई लैंडर भेजा जाता है तो उसमें उपयुक्त तरीके से थर्मल डिजाइन करना एक अहम टास्क ही नहीं होता है बल्कि ये ही वो पहलू है, जिसके पुख्ता तरीके से काम करने के लिए लैंडर इतनी ठंड में बचा रहता है.
The Sun will set over the landing site of the Chandrayaan-2 mission Vikram lander within 2 days. As Vikram is not equipped with radioisotope heater units, any hope of contacting the spacecraft will die as temperatures approach ~minus 180 Celsius. pic.twitter.com/jsTUZiXnCp
— Andrew Jones (@AJ_FI) September 17, 2019
इसी के जरिए वो अपने सारे यंत्रों और सिस्टम को भी बचाकर रखने में कामयाब होता है. लैंडर में तमाम ऐसे इलैक्ट्रानिक उपकरण भी होते हैं, जो बहुत संवेदनशील होते हैं, लिहाजा उनके एक अंदर एक सामान्य तापमान बना रहना बहुत जरूरी है
क्या होता है थर्मल डिजाइन
ये थर्मल डिजाइन कई तरह के थर्मल हार्डवेय़र को मिलाकर बनाया जाता है. माना जा रहा है कि भारतीय चंद्रयान में इस तरह का डिजाइन नहीं है, यानि उसमें उसे गर्म करने वाले सिस्टम की व्यवस्था अलग से नहीं है.
अगर वाकई ऐसा है तो ये सवाल पैदा करने वाली बात है. जिस तरह कई रिपोर्ट्स में सवाल उठाए भी जा रहे हैं. इससे ये भी पूछा जा रहा है कि क्या थर्मल सिस्टम की अलग व्यवस्था नहीं करने का मतलब है कि इसरो ने इसे केवल 14 दिनों के लिये ही चांद पर भेजा था.
चांद की सतह पर तापमान में खासी विविधता
ये भी कहा जाता है जब 1960 के दशक में सोवियत संघ और अमेरिका के बीच चांद पर मिशन भेजने को लेकर प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब शुरुआती कुछ मिशन के बाद ये साफ होने लगा कि चांद पर तापमान की स्थिति दिन और रात में एकदम अलग होती है. चांद के अलग अलग हिस्सों में तापमान में काफी विविधता है. कहीं-कहीं दिन का तापमान बहुत गर्म मिलता है तो रातों का तापमान उतना ही ठंडा.
चीनी पत्रकार ने क्या ट्ववीट किया
एक चीनी पत्रकार एंड्यू जोंस, जो चीन के स्पेस प्रोग्राम को कवर करते हैं, ने 17 सितंबर को एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जहां लैंड किया वहां सूर्य अस्त हो रहा है. चूंकि विक्रम रेडियोस्टोप हीटर यूनिट से लैस नहीं है, लिहाजा माइनस 180 डिग्री सेल्शियस की ठंड में उससे संपर्क होने की रही सही उम्मीदें भी खत्म हो जाएंगी.
शुरू में जब चंद्रयान का लैंडर विक्रम क्रैश हो गया था तब भी ये कयास थे कि हो सकता है कि लैंडर का पॉवर सिस्टम ही फेल हो गया हो, जिस कारण उसका कोई हिस्सा या सिस्टम काम नहीं कर रहा है. अन्यथा किसी ना किसी तरह उसके संपर्क हो सकता था. तब ये कहा गया था कि अगर लैंडर का पॉवर सिस्टम काम कर रहा होता तो रात के ठंड में भी लैंडर को गरम रखने की व्यवस्था थी और रात में भी बेहद ठंडा तापमान भी उसे काम करने से रोक नहीं पाएगा.
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