आज पूरी दुनिया विश्व जनसंख्या दिवस मना रही है। आज से 30 साल पहले यानी 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा इसे शुरू किया गया था। माना जाता है कि 11 जुलाई 1987 को विश्व की जनसंख्या 500 करोड़ हो गई थी। वैश्विक जनसंख्या मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के तहत इसे शुरू किया गया। जिसमें परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आबादी बढ़ने की रफ्तार इतनी ही बनी रही तो जल्द ही वैश्विक स्तर पर इसका आंकड़ा 10 अरब के आस-पास पहुंच जाएगा। आपको बता दें कि वर्तमान में दुनिया की कुल आबादी 7.7 अरब को पार कर गई है। जिसमें दुनिया की कुल आबादी का आधे से भी बड़ा हिस्सा केवल एशिया महाद्वीप में रहता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार ऐसा हुआ है जब 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी पांच साल के बच्चों की आबादी से ज्यादा हो गई है।
साल 1900 के पहले तक दुनिया की सबसे बड़ी समस्या शिशु मृत्यु दर था जिस कारण जन्मे बच्चों में से एक चौथाई ही जिंदा बच पाते थे। इसके अलावा उस समय लोगों की औसत आयु भी 30 साल ही थी। लेकिन चिकित्सा विज्ञान के प्रगति ने इन आंकड़ों को बदलकर रख दिया।
वर्तमान में भारत समेत कई विकासशील देश भी मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। विकसित देशों में इलाज की लागत को देखते हुए पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, मालदीव समेत दुनिया के कई देशों से लोग मेडिकल टूरिज्म के लिए भारत आ रहे हैं।
2027 तक हम होंगे विश्व में नंबर 1
विश्व जनसंख्या दिवस
साल 1951 में भारत की आबादी 36 करोड़ थी जो अब बढ़कर 133 करोड़ हो गई है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जनसंख्या के मामले में हम साल 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर नंबर एक की कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे। हालांकि इसका हमारी अर्थव्यवस्था ही नहीं कई क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
शहरों में पलायन के साथ ही गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, निवास, खेती के लिए जमीन इत्यादि समस्याएं बहुत तेजी से आगे बढ़ेंगी। अगर जनसंख्या पर लगाम नहीं लगती है तो सरकार का पांच ट्रिलियन इकोनामी का सपना भी दूर की कौड़ी हो जाएगी।
तेजी से बूढ़ी हो रही दुनिया
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पहली बार ऐसा हुआ है जब 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी पांच साल के बच्चों की आबादी से ज्यादा हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि साल 2050 तक दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बच्चों की आबादी की दोगुनी हो जाएगी।
हिस्ट्री डॉटाबेस ऑफ द ग्लोबल एनवॉयरमेंट रिपोर्ट के अनुसार 12 हजार साल में दुनिया में जन्में लोगों में से चीन में 19.9 फीसदी तो भारत में 29.8 फीसदी लोग पैदा हुए हैं। अगर इन दोनों देशों के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो दुनिया की कुल आबादी का आधा हिस्सा इन दोनों देशों में ही जन्मा है।
आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि साल 1800 में दुनिया की आबादी ने 100 करोड़ के आंकड़े को छूआ था जबकि 1989 में यह बढ़कर 500 करोड़ तक पहुंच गया। आज यह आंकड़ा 770 करोड़ पहुंच गया है।
अनाज और पानी बनेगी सबसे बड़ी समस्या
बढ़ती आबादी के कारण न केवल आवास और रोजगार की कमी होने वाली है बल्कि आने वाले दिनों में लोगों को खाने के लिए अनाज और पीने के लिए पानी की कमी होने वाली है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है जिसमें 25 फीसदी भारतीय भी शामिल हैं।
वाटर एड संस्था की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल जमीनी पानी का 24 फीसदी भारतीय उपयोग करते हैं। देश में 1170 मिमी औसत बारिश होती है, लेकिन हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं।
एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।
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