यूनिक समय, मथुरा। सावन में सोमवार के व्रत करना शुभ माना गया है। जो व्यक्ति इस माह में व्रत करता हैं उसे विशेष फल मिलता है। व्रत करने वाला अगर नियम पूर्वक विधि-विधान से व्रत करें तो मनोकामना अवश्य पूरी होती है। जानते हैं क्या नियम हैं जिनका पालन करना जरूरी है। उसे सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।
दैनिक कार्यों से निवृत होकर नहा धोकर शुद्ध सफ़ेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए। भगवान शिव की पूजा यदि घर में करनी हो तो पूजा का स्थान साफ करके गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद शिव जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करके साफ आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। घर में सिर्फ पारद या नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। बाहर मंदिर में पूजा करने जाना हो तो पूजा का सामान ढक कर ले जाना चाहिए। संभव हो तो मंदिर में भी शुद्ध आसन पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
शिव पूजा की सामग्रीः जल कलश, गंगा जल, कच्चा दूध, दही, घी, शहद, चीनी, केसर, वस्त्र, चन्दन रोली, मौली, चावल (अक्षत ), फूलमाला , फूल, जनेऊ, इत्र, बिल्व पत्र, आंक , धतूरा, भांग, कमल गट्टा, पान लौंग , इलायची , सुपारी धूप , दीप , अगरबत्ती, माचिस, कपूर, फल, मेवा, मिठाई, नारियल, दक्षिणा के पैसे।
शिव पूजा की विधिः पूजा के लिए सबसे पहले पूजा के सामान को यथास्थान रख दें। अब भगवान शिव का ध्यान करके ताम्बे के बर्तन से शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद दूध , दही , घी , शहद और शक्कर से स्नान कराएं । इनके मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भी स्नान करा सकते है। इसके बाद सुगंध स्नान के लिए केसर के जल से स्नान कराएं। चन्दन आदि लगाएं। अब मौली , जनेऊ , वस्त्र आदि चढ़ाएं। अब इत्र और पुष्प माला , बिल्व पत्र आदि चढ़ा दें। बिल्व पत्र 5 , 11, 21, 51 आदि शुभ संख्या में लें। बिल्वपत्र चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है। आंकड़े और धतूरे के फूल चढ़ाएं।
शिवजी को सफ़ेद रंग अतिप्रिय है क्योकि ये शुद्ध , सौम्य और सात्विक होता है। आंकड़ा और धतूरा चढ़ाने से पुत्र का सुख मिलता है। वाहन सुख के लिए चमेली का फूल चढ़ाएं , धन की प्राप्ति के लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी या जूही का फूल चढ़ाएं, विवाह के लिए बेला के फूल चढ़ाएं , मन की शांति के लिए शेफालिका के फूल चढाने चाहिए। पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए पीला कनेर का फूल चढ़ाएं। शिव ज की पूजा करते समय आपकी भावना शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए ( जैसे शिव खुद है)। अब धूप , दीप आदि जलाएं। फल मिठाई आदि अर्पित कर भोग लगाएं। इसके बाद पान , नारियल और दक्षिणा चढ़ाएँ। अब आरती करें। आरती के बाद क्षमा मंत्र बोलें। आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर: श्रद्धा पूर्वक इस प्रकार सावन के सोमवार को पूजा सम्पूर्ण करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करते है। इस दिन महामृत्युंजय , शिवसहस्र नाम , रुद्राभिषेक ,शिवमहिमा स्रोत ,शिवतांडव स्रोत या शिवचालीसा आदि का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है।
ध्यान रखेंः शिवलिंग पर सिन्दूर, हल्दी, लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल आदि या स्त्री सौंदर्य से संबंधित सामान न चढ़ाएं। क्योंकि शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है। जलधारी पर ये चढ़ाये जा सकते है क्योकि जलधारी माता पार्वती और स्त्रीत्व का प्रतीक होती है। शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है। आधी परिक्रमा ही लगाएं।
जानिए सावन सोमवार व्रत में क्या खाएं और क्या ना खाएंः
- इस व्रत में आप भोजन एक बार कर सकते है, लेकिन वह भी सूर्यास्त के बाद।
- सोमवार व्रत में पूरे दिन अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- आप व्रत में पूरे दिन फ्रूट जूस, दूध, पानी, छाछ आदि का सेवन कर सकते है।
- खाने के लिए आप उबले आलू, दही, सिंघाडे का आटा, साबूदाना, सूखे मेवे, मूंगफली और नारियल पानी का सेवन कर सकते है।
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