
यूनिक समय, नई दिल्ली। सनातन धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। इस पावन अवसर पर भक्त बजरंगबली की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है और प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से पंचमुखी हनुमान की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में हनुमान जन्मोत्सव आज, 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन देशभर के हनुमान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। धार्मिक मान्यता है कि पंचमुखी हनुमान की आराधना से साधक को पांच गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
हनुमान जी ने क्यों लिया पंचमुखी रूप?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम और रावण के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था, तब रावण ने अपने भाई अहिरावण को युद्ध में सहायता के लिए बुलाया। अहिरावण मां भवानी का उपासक और तंत्र विद्या में निपुण था। उसने अपनी मायावी शक्तियों से पूरी वानर सेना को निद्रा में डाल दिया और भगवान राम व लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया।
अहिरावण ने अपने रक्षा कवच के रूप में पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाए। उसे यह वरदान प्राप्त था कि जब तक ये पांच दीपक एक साथ नहीं बुझते, तब तक उसे कोई नहीं मार सकता। ऐसे में हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया तथा प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया।
पंचमुखी हनुमान के पाँच मुखों का महत्व
- वानर मुख (पूर्व दिशा)- यह मुख विजय और शौर्य का प्रतीक है। शत्रुओं पर विजय पाने में सहायक होता है।
- गरुड़ मुख (पश्चिम दिशा)- जीवन की रुकावटों और बाधाओं को दूर करता है। बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
- वराह मुख (उत्तर दिशा)- यह मुख दीर्घायु और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इसे आरोग्य प्रदायक माना गया है।
- नृसिंह मुख (दक्षिण दिशा)- भय, क्रोध और तनाव को समाप्त करने वाला यह मुख भक्तों को मानसिक शांति देता है।
- अश्व मुख (ऊर्ध्व दिशा)- इच्छाओं की पूर्ति और सिद्धियों की प्राप्ति के लिए यह मुख अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
हनुमान जी का पंचमुखी स्वरूप न केवल शक्ति और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि जब संकट गहराते हैं, तब प्रभु अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पर पंचमुखी हनुमान की पूजा करके जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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