नागरिकता संशोधन कानून को लेकर डोर तो डोर अभियान चलाने वाली भाजपा अपने ही कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर पा रही है। पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में एक के बाद एक इस्तीफे सामने आ रहे है।
ताजा मामला मध्य प्रदेश के भोपाल से जुड़ा है। जहां बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के 48 सदस्यों ने सीएए का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ दी है। इन कार्यकर्ताओं ने पार्टी के भीतर भेदभाव की शिकायत की है। इनका आरोप है कि पार्टी के कुछ सदस्यों ने एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
इन नेताओं में आदिल खान, भाजपा के अल्पसंख्यक विंग भोपाल के जिला अध्यक्ष और मीडिया सेल के प्रभारी जावेद बेग भी शामिल हैं। उनके साथ ही मस्जिद समिति के पूर्व अध्यक्ष और मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड के सदस्य अब्दुल हकीम कुरैशी ने भी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कुरैशी, पिछले 25 साल से भाजपा के साथ थे और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी सहयोगी माने जाते थे।
बीजेपी छोड़ने वाले सदस्यों ने राज्य के अल्पसंख्यक प्रमुख को यह कहते हुए पत्र लिखा है कि पार्टी श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों का पालन करती है, लेकिन उन्होंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया और अल्पसंख्यकों सहित सभी को अपने साथ लेकर चले थे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि पार्टी में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पूरी पार्टी को दो-तीन लोगों के भरोसे छोड़ दिया गया है। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है और कांग्रेस और कम्युनिस्टों पर उन्हें गुमराह करने का आरोप लगाया है।
कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें डोर-टू-डोर जागरूकता अभियान के बारे में नहीं बताया गया। इसके अलावा पार्टी के सदस्यों पर सामुदायिक-विशिष्ट टिप्पणियों करने का भी आरोप है।इतने लंबे समय तक पार्टी की सेवा करने के बाद भी कुछ मुस्लिम कार्यकर्ताओं को पाकिस्तान और बांग्लादेश जाने के लिए भी कहा जाता है।
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नहीं हुआ कोई सुधार
बीजेपी सांसद ने कहा, “दिल्ली सरकार ने एक भी डिग्री कॉलेज नहीं बनाया है। हेल्थ केयर में कोई सुधार नहीं किया है। लास्ट माइल सुविधा में कोई सुधार नहीं किया गया है। बस अभी तक 300 बस खरीदा जबकि 5000 का वायदा किया, लेकिन सरकार फेल हो गई।” सांसद प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “सीसीटीवी कुछ जगह लगाई गई, लेकिन उसका कंट्रोल सेंटर ही नहीं है। 14 लाख का वादा किया था लेकिन 50,000 तीन महीने में लगाया। ज्यादातर सीसीटीवी काम नहीं करते हैं।”
मूर्खतापूर्ण है केजरीवाल सरकार का फैसला
प्रवेश वर्मा ने कहा कि गांव के विकास की बात कही थी लेकिन मैं चुनौती देता हूं कि एक भी योजना गांव के विकास के लिए लाए हों तो बता दें। दिल्ली विकास की समस्या इन्हें पता नहीं है। दिल्ली का सर्किल रेट 5 करोड़ का करने का वादा इन्होंने किया। यह फैसला गलत था। कौन 40 लाख की स्टांप ड्यूटी देगा। किसान अपनी जमीन बेच नहीं पाएगा। केजरीवाल सरकार का यह फैसला मूर्खतापूर्ण है।
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