देश के लगभग 4800 सांसद और विधायक सोमवार को 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान करेंगे। एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर साफ बढ़त हासिल है। उम्मीद है कि उनके पक्ष में करीब 60 फीसदी मतदान होगा। मतदान संसद और राज्यों के विधानसभा भवन में होंगे। इसके लिए बैलेट बॉक्स पहले ही पहुंच गए हैं। 21 जुलाई को संसद भवन में वोटों की गिनती होगी और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे।
द्रौपदी मुर्मू को बीजद, वाईएसआरसीपी, बसपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, जद (एस), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और अब झामुमो जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिला है। उनका वोट शेयर लगभग दो-तिहाई तक पहुंचने की संभावना है। वह राष्ट्रपति चुनाव जीतती हैं तो राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी। एनडीए के सांसदों और विधायकों के वोटों की वैल्यू 6.67 लाख से अधिक है। मुर्मू को विभिन्न क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिला है, जिसके चलते उन्हें मिलने वाले वोटों की कुल वैल्यू 10.86 लाख से अधिक हो सकती है।
दरअसल, राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से होता है। इसके निर्वाचक मंडल में निर्वाचित सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। मनोनीत सांसद और विधान परिषद के सदस्य इस चुनाव में मतदान करने के हकदार नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण इस राष्ट्रपति चुनाव में संसद सदस्य के वोट का मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया है। राज्यों में प्रत्येक राज्य के विधायक के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु में 176 है। महाराष्ट्र में यह 175 है। सिक्किम में प्रति विधायक वोट का मूल्य 7, नागालैंड में 9 और मिजोरम में 8 है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का नाम लेने से पहले विपक्षी खेमे ने महात्मा गांधी के पोते और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से चुनाव लड़ने के लिए संपर्क किया था। उन लोगों ने चुनाव लड़ने से इनकार किया, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सिन्हा को विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित किया था।
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