बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 से 8 सितंबर तक भारत की यात्रा करने वाली हैं। इससे पहले उन्होंने एक भारतीय न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि रोहिंग्या प्रवासी बांग्लादेश पर बड़ा बोझ हैं। इस समस्या के हल के लिए भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है।
शेख हसीना ने कहा, “रोहिंग्या प्रवासी बांग्लादेश पर एक “बड़ा बोझ” हैं। बांग्लादेश इस समस्या को अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपनी मातृभूमि में लौट जाएं। मुझे लगता है कि भारत इस मुद्दे को हल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।”
शेख हसीना ने स्वीकार किया कि बांग्लादेश में लाखों रोहिंग्याओं की मौजूदगी ने उनके शासन के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए बड़ा बोझ है। भारत विशाल देश है। भारत इन्हें जगह दे सकता है। भारत में रोहिंग्याओं की संख्या उतनी अधिक नहीं है। बांग्लादेश में 11 लाख रोहिंग्या हैं। इसके चलते हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पड़ोसी देशों से बातचीत कर रहे हैं। वे कुछ ऐसे कदम उठा सकते हैं, जिससे रोहिंग्या अपने देश लौट सकें।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए विस्थापित समुदाय की देखभाल करने की कोशिश की है। हमने उन्हें रहने के लिए जगह और सबकुछ दिया। कोरोना महामारी के दौरान पूरे रोहिंग्या समुदाय का टीकाकरण किया। लेकिन वे कब तक यहां रह सकते हैं?
बांग्लादेश की पीएम ने कहा कि रोहिंग्या प्रवासियों को शिविर में रखा गया है। इससे हमारे पर्यावरण को खतरा है। कुछ रोहिंग्या नशीले पदार्थों की तस्करी, आपराधिक घटनाओं और महिला तस्करी में लिप्त हैं। दिन प्रतिदिन वे बढ़ रहे हैं। इसलिए जितनी जल्द हो सके वे अपने देश लौट जाएं यह हमारे देश के लिए अच्छा है। यह म्यांमार के लिए भी अच्छा है। इसलिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैसे आसियान या यूएनओ और अन्य देशों से चर्चा कर रहे हैं।
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