मथुरा। तांबे में चत्कारी गुण होते हैं। इसलिए हर त्योहार, उत्सव और धार्मिक मौके पर तांबे के बरतन का फिर किसी पात्र का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही अक्सर हम अपने घर या पड़ोस में देखते हैं बड़े-बुजुर्ग रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख देते हैं और सुबह-सुबह उठकर उसे पी लेते हैं। आर्युवेद में ऐसी मान्यता है कि तांबे के बरतन का पानी तीन दोषों (वात, कफ और पित्त) को बैलेंस करता है। बताया जाता है कि इसके पानी का लाभ तभी मिलता है जब कम से कम 8 घंटे तक पानी रखा जाए।
स्वास्थ्य विज्ञान में भी तांबे के बर्तन में पानी के अनगिनत फायदों बताए गए हैं…
दिल को स्वस्थ बनाए रखकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह हार्ट अटैक के खतरे को भी कम करता है।इसके प्रयोग से स्मरणशक्ति मजबूत होती है, और दिमाग तेज होता है। यह वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने में मदद करता है। तांबे में ऐसे गुण होते हैं जो पेट को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरिया को मार देते हैं, जिस वजह से पेट में कभी भी अल्सर और इंफ्केशन नहीं होता है।- यह सभी प्रकार के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है, जो डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री और अन्य प्रकार की बीमारियों को पैदा करते हैं। यह पेट संबंधी बीमारियां जैसे एसिडिटी और गैस से भी बचाता है। तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी को डिटॉक्स करता है। तांबे में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज दर्द से राहत दिलाती है।
अर्थराइटिस की समस्या से निपटने में भी तांबे का पानी अत्यधिक फायदेमंद होता है।
अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को राहत मिलती है। तांबा हड्डियों और इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रांग बनाता है। त्वचा को अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने के लिए मेलानिन के निर्माण में तांबा अहम भूमिका निभाता है। तांबे में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स चेहरे की फाइन लाइन्स और झाइयों को खत्म करता है। ये स्किन पर एक सुरक्षा लेयर बनाता है, जिससे आप लंबे समय तक जवां रहते हैं। वजन कम करने में सहायक होता है। डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर बुरे फैट को शरीर से बाहर निकालता है। ये शरीर में जरूरी फैट्स रखने में मदद करता है। तांबे में मौजूद एंटी-वाइरल, एंटी- बैक्टिरियल और एंटी-इंफ्लेटरी प्रॉपर्टीज बाहरी और अंदरूनी घाव और जख्म को जल्दी भरने में मदद करती है। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत कर नए सेल्स बनाता है।
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