सिंधिया की रफ्तार से BJP में खलबली : 2 केंद्रीय, एक कैबिनेट और 10 पूर्व मंत्रियों को छोड़ा पीछे, जानिए वजह

भोपाल. कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस में भले ही पूछ परख न हुई हो, लेकिन बीजेपी में आते ही उन्हें सिर आंखों पर बैठा लिया गया है.उप चुनाव के लिए बनायी गयी समिति में उन्हें छठवां स्थान दिया गया है. लिस्ट में पार्टी के बड़े और पुराने कद्दावर नेताओं के नाम उनके बाद दर्ज हैं.

करीब 3 महीने पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की रफ्तार से बीजेपी में खलबली मच गई है.हाल ही में विधानसभा उपचुनाव के लिए जारी संचालन समिति की सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया को छठवें नंबर पर रखा गया है. सूची में लिखे जाने वाले नामों के लिहाज से देखें तो सिंधिया ने बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं को पीछे छोड़ दिया है. इस सूची में कुल 22 लोगों के नाम हैं.सिंधिया के बाद दो केंद्रीय मंत्री, एक कैबिनेट मंत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और 10 पूर्व मंत्रियों के नाम लिखे गए हैं. इस लिहाज से देखें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के तमाम दिग्गजों को 3 महीने के भीतर ही पीछे छोड़ दिया है. बीजेपी में अब इस बात को लेकर खलबली मच गई है

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कितने कद्दावर सिंधिया .

बीजेपी ने 24 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के लिए जो संचालन समिति बनाई है उसमें 22 नाम शामिल किए गए हैं. इसमें पहले नंबर पर प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा का नाम लिखा गया है, जबकि दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम है. सिंधिया का नाम छठवे नंबर पर है. उनके बाद केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद राकेश सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जयभान सिंह पवैया और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा खुद उनकी बुआ और बीजेपी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया सहित कई और नेताओं के नाम लिखे गए हैं.

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शुरू हुई सियासत

सूची के इस क्रम पर अब चर्चा हो रही है.एक तरफ जहां कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी खरीदे हुए लोगों पर दांव लगाकर उपचुनाव जीतने का मन बना रही है. जबकि खुद उसके ही नेताओं का पार्टी में अपमान किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा संचालन समिति की सूची में लिखे गए नाम अधिकारियों के कैडर की तरह नहीं होते लिहाजा उसकी जरूरत से ज्यादा व्याख्या करना ठीक नहीं है.

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