जानिए: ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में क्या है फर्क

नई दिल्ली। कोविड-19 की इस दूसरी लहर में कोरोना वायरस ने लोगों को बुरी तरह से संक्रमित किया है। हाल ये है कि बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जिसकी वजह से अस्पताल हों या घर में आइसोलेटेड मरीज़, ज्यादातर लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मदद लेनी पड़ रही है. जिसकी वजह से इसकी शॉर्टेज भी कई बार देखने को मिल रही है. ज़िंदगी बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दोनों ही चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में फर्क क्या है? आइये जानते हैं…..

ऑक्सीजन सिलेंडर के बारे में तो आप जानते ही हैं। ये एक लम्बे आकार का लोहे का सिलेंडर होता है। जिसमें ऑक्सीजन गैस भरी होती है और इसके खाली होने पर फिलिंग करवाने की ज़रूरत होती है। इसमें कोई व्हील्स या स्टैंड नहीं लगा होता है जिसकी वजह से इसको उठाना थोड़ा सा मुश्किल होता है। साथ ही इसके साथ में किसी भी तरह की ज़रूरी एसेसरीज जैसे ऑक्सीजन मास्क और नेस़ल ट्यूब इसमें अटैच नहीं होता है। इन सबको सिलेंडर से अलग खरीदना पड़ता है।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक पोर्टेबल ऑप्शन है जिसको बिना उठाये सरका कर आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। ये एक मेडिकल डिवाइस है जिसमें सारे ज़रूरी एसेसरीज जैसे ऑक्सीजन मास्क और नेस़ल ट्यूब और बाकी ज़रूरी सामान साथ में ही अटैच होता है। ये बिजली की सहायता से चौबीस घंटे काम कर सकता है लेकिन यह एक मिनट में केवल पांच से दस लीटर तक ही ऑक्सीजन दे सकता है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दो तरह के होते हैं। एक कंटीन्यूअस पल्स और दूसरा फ्लो कंसंट्रेटर कहलाता है। फ्लो कंसंट्रेटर ऑन करने के बाद लगातार तब तक काम करता है जब तक उसको बंद न किया जाये। तो वहीं पल्स कंसंट्रेटर मरीज के ब्रीदिंग पैटर्न को ध्यान में रखता है और जब मरीज इनहेलेशन डिटेक्ट करता है तब ही ऑक्सीजन देना शुरू करता है।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में ऑक्सीजन गैस भरी नहीं होती है बल्कि ये आसपास के पर्यावरण से ऑक्सीजन को इकट्ठा करता है और इस ऑक्सीजन को मरीज़ को सप्लाई करता है। पर्यावरण में लगभग 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और 21 प्रतिशत तक ऑक्सीजन गैस होती है। बाकी गैस की मौजूदगी लगभग 1 प्रतिशत तक होती है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर्यावरण से हवा को लेकर इसको फिल्टर करता है और नाइट्रोजन और बाकी गैस को वापस पर्यावरण में छोड़ कर ऑक्सीजन मरीज को सप्लाई करता है। कंसंट्रेटर्स में ऑक्सीजन सप्लाई को रेगुलेट करने के लिए प्रेशर वॉल्व भी लगे होते हैं और इसको इस तरह से डिजाइन किया जाता है जिससे ये लंबे समय तक मरीज को ऑक्सीजन दे सके। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कैपेसिटी अलग-अलग होती है कुछ छोटे कंसंट्रेटर एक मिनट में एक या दो लीटर तक ही ऑक्सीजन सप्लाई कर पाते हैं तो बड़े कंसंट्रेटर एक मिनट में पांच से दस लीटर तक ऑक्सीजन सप्लाई करने की कैपेसिटी रखते हैं।

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