नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की 40वीं बैठक में उत्तर प्रदेश की ओर से कर चोरी (Tax और राजस्व बढ़ाने केअहम मुद्दे उठाए गए. उत्तर प्रदेश की ओर बैठक में शामिल मंत्री ने कहा कि पान मसाला और ईंट भट्ठों पर जीएसटी को लेकर विचार किया जाना चाहिए. ऐसे में माना जा रहा है कि अगले महीने यानी जुलाई से पान मसाला महंगा हो सकता है। वहीं, ईंट पर जीएसटी बढ़ाए जाने से भवन निर्माण भी महंगा हो सकता है।
उत्पादन क्षमता के आधार पर लगाया जा सकता है जीएसटी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बैठक में उत्तर प्रदेश की ओर से पान मसाला और ईंट भट्ठों पर जीएसटी को लेकर सवाल उठाया गया। यूपी अपना राजस्व बढ़ाने के लिए काउंसिल से जल्द फैसला लेने का आग्रह कर रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया गया है कि काउंसिल की अगली बैठक में इन मुद्दों पर विचार किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश ने उत्पादन क्षमता के आधार पर मैन्युफैक्चरिंग स्टेज पर ही सेस (Cess) लगाने की मांग की है। बता दें कि अभी निर्माता की ओर से की गई आपूर्ति पर जीएसटी लगाया जाता है।
कर चोरी की रहती है आशंका, ईंट पर 5 से 18 फीसदी GST
पान मसाला पर अभी 28 फीसदी जीएसटी और 60 फीसदी सेस लगाया जाता है. वहीं, गुटखा पर 204 फीसदी सेस लगाया जाता है. पान मसाला छोटे सैशे या पाउच में बिकता है, जिसका ज्यादातर भुगतान नकद में किया जाता है. इस वजह से कर अधिकारियों को पान मसाला की आपूर्ति का सही आकलन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कर चोरी की आशंका बनी रहती है. वहीं, ईंट पर 5 से 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है. मिट्टी से बनी ईंट पर 5 फीसदी, जबकि पैनल्स, प्लेट्स, मल्टीसेल्युलर या फोम ग्लास ब्लॉक्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगा है।
‘राजस्व बढ़ाने को उत्पादन क्षमता पर लगाना होगा जीएसटी’
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने बताया कि फिलहाल मौजूदा जीएसटी व्यवस्था के तहत पान मसाला और ईंट पर विज्ञापन के मूल्य के आधार पर शुल्क वसूला जाता है। हालांकि, पहले ज्यादातर राज्य कर चोरी को रोकने के लिए इन दोनों वस्तुओं पर निर्माताओं की उत्पादन क्षमता के आधार पर टैक्स वसूला जाता था. इस समय कोरोना वायरस के कारण राज्यों के राजस्व में पहले ही काफी कमी आ चुकी है. ऐसे में राज्यों को इन वस्तुओं पर आपूर्ति के बजाय उत्पादन क्षमता के आधार पर जीएसटी लागू करना ही होगा।
Leave a Reply