गजब है दोपहिया वाहन का एयरबैग, दुर्घटना के बाद भी नहीं आती खरोंच

ऑटो न्यूज। देश में सड़कों पर यातायात को सुरक्षित करने के लिए कई पहल की जा रही हैं। चार पहिया वाहन की सभी सीट पर एयरबैग सुनिश्चित करने के लिए नियमों में बदलाव किया जा रहा है। वहीं अब दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए एयरबैग डिजाइन किया जा रहा है। इसके लिए ऑटो कंपनी पियाजियो और ऑटोमेटिव सेफ्टी सिस्टम देने वाली कंपनी ऑटोलिव ने मिलकर काम करेंगी। दोनों कंपनियों संयुक्त प्रयास से टू-व्हीलर के लिए एयरबैग टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं। कंपनी की मानें तो ये एयरबैग एक्सीडेंट को भांपकर तुरंत खुल जाएगा। वहीं इसे और एडवांस करने और हर तरह से राइडर को सुरक्षित करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

एक्सीडेंट के वक्त 1 सेकेंड में खुलेगा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस एयरबैग को लगाने के लिए टू-व्हीलर में फ्रेम अटैच किया जाएगा। दुर्घटना होने पर यह एयरबैग एक सेकेंड में ओपन होगा। यदि दुर्भाग्यवश कोई एक्सीडेंट होता है, तो उसे प्रोटेक्ट करने के लिए एयरबैग खुल जाएगा। ऑटोलिव एडवांस सिमुलेशन टूल के साथ इस एयरबैग को विकसित कर चुकी है। जानकारी के मुताबिक scooters and bikes पर इसका crash test भी हो चुका है। वहीं कंपनियां इस एयरबैग को और अधिक पावरफुल और सेफ बनाने के लिए प्रयोग कर रही हैं। सुरक्षित बनाना चाहती हैं।

बता दें कि इससे पहले फ्रांसीसी इंजीनियर मोसेस शाहरिवार ने भी टू-व्हीलर चालकों के लिए एक अनोखा जींस तैयार किया है। उन्होंने ऐसी सुपर-स्ट्रॉन्ग जींस बनाई है, जिसमें एयरबैग की सुरक्षा मिलती है। को राइडर इस जींस को पहनकर गाड़ी चलाता है, तो गिरने की स्थिति में एयरबैग कम्प्रेस्ड एयर से भर जाता है। किसी एक्सीडेट के समय चालक गिर भी जाए तो वो सख्त जजमीन के संपर्क में नहीं आतो है। इससे उसकी जान बच जाती है। एयरबैग जींस को यूरोपीय यूनियन के हेल्थ एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड से सर्टिफाइड कराने की प्रोसेस इस समय चल रही है।

एयरबैग एक कॉटन का बना हुआ बैग होता है जो एक्सीडेंट के समय वाहन में सवार यात्रियों और चालक को सेफ करता है। दुर्घटना के समय यह अपने आप खुलता है। कार की बात करें तो ये एयरबैग स्टीयरिंग व्हील, दरवाजे और डैशबोर्ड में लगाए जाते हैं। वहीं बाइक में यये सामने के हिस्से में लगाए जा सकते हैं।

एक्सीडेंट के समय किसी कार के टकराने पर एयरबैग अपने आप ओपन हो जाता है। एयरबैग एक सेकंड से भी कम समय में 320 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से खुलता है। दरअसल दुर्घटना की स्थिति में इसका सेंसर एक्टिव हो जाता है और एयरबैग को खुलने के लिए ग्रीन सिग्नल भेजता है । सिग्नल मिलते ही स्टीयरिंग के नीचे मौजूद इन्फ्लेटर एक्टिव हो जाता है। इन्फ्लेटर सोडियम अजाइड के साथ केमिकल प्रोसेस करके नाइट्रोजन गैस उत्पन्न करता है। नाइट्रोजन से भरा हुआ एयरबैग खुल कर चालक के सामने आ जाता है। जिससे किसी भी सख्त चीज का मुकाबला एयरबैग करता है।

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