नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया की अदालत ने घूसखोरी के मामले में सैमसंग इलेक्ट्रोनिक्स के वाइस चेयरमैन जेवाईली को ढाई साल कैद की सजा सुनाई है।
इसी के साथ कंपनी की लीडरशिप और बड़े कारोबार को लेकर दक्षिण कोरिया के नजरिये में भी बदलाव आया है। अब जे वाई ली सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के अहम फैसलों में शामिल नहीं होंगे। बता दें कि इन बैठकों में प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को पीछे छोड़ने और कंपनी को संभालने से जुड़ी नीतियों पर फैसला होता है। कंपनी पर नियंत्रण रखने के लिए ये बैठकें अहम होती हैं।
ली पर पूर्व प्रेसिडेंट पार्क गॉन हे के एक सहयोगी को घूस देने का आरोप है। इस वजह से वह 2017 में भी जेल जा चुके हैं। फिर उन्होंने घूस देने के आरोपों से इनकार करते हुए अपील की। इसके बाद उनकी सजा कम कर दी गई और वो एक साल बाद जेल से बाहर आ गए। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला सियोल हाईकोर्ट में भेज दिया। सियोल हाईकोर्ट ने ली को घूस देने का दोषी पाया और ढाई साल कैद की सजा सुना दी।
साउथ कोरिया के कानून के मुताबिक, तीन साल या इससे कम साल की सजा को ही खारिज किया जा सकता है। अगर किसी को इससे लंबी कैद होती है तो उसे अपनी सजा पूरी करनी होगी। ली को हुई ढाई साल कैद की सजा में से उनके डिटेंशनल सेंटर में रहने के वक्त को घटाया जा सकता है। संभव है कि सियोल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए। इस मामले में लीगल एक्सपट्र्स का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में एक बार फैसला सुना चुका है। ऐसे में अब हाईकोर्ट के फैसले में बदलाव की गुंजाइश कम ही है।
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