विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बाद भी नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया। लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बिल के खिलाफ मत करने वालों में कांग्रेस और एनसीपी भी थी वहीं इस मुद्दे पर शिवसेना बीजेपी के साथ खड़ी थी, जिसके कारण अब महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी डगमगाने लग गई है। शिवसेना के बीजेपी के समर्थन के कारण एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन तोड़ने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
लोकसभा में जब गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर रहे थे उस समय शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह शर्त रखी कि नए बिल के तहत जिनको नागरिकता दी जाएगी, उन्हें 25 सालों तक वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने अपने ट्वीट में कहा, अवैध नागरिकों को देश से बाहर करना चाहिए, साथ ही हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता भी दी जानी चाहिए, लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल के बारे में कहा कि हमने राष्ट्र के हित में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया। कांग्रेस और एनसीपी के साथ ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ केवल महाराष्ट्र में लागू है।
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