Whatsapp मैसेजेज को ट्रैक करने के लिए कैसे इनेबल किया जाए? Kamakoti के अनुसार Whatsapp मैसेजेज को ट्रैक किया जा सकता है। जानते हैं कैसे?
नई दिल्ली। Whatsapp मैसेजेज को ट्रैक करने के लिए कैसे इनेबल किया जाए? इसके ऊपर टेक्निकल रिपोर्ट के लिए मद्रास हाई कोर्ट ने V Kamakoti, IIT मद्रास के प्रोफेसर से रिपोर्ट फाइल करने के लिए बोला है। प्रोफेसर Kamakoti पिछले साल फिकल की गई दो याचिकाओं से सम्बंधित सुनवाई में कोर्ट की मदद कर रहे हैं। इस याचिका में यह देखा जा रहा है की पहचान के प्रमाणीकरण के लिए आधार डेटाबेस और सोशल मीडिया प्रोफाइल्स आपस में कैसे लिंक हैं? इस केस से Whatsapp को असर पड़ेगा। Whatsapp एक लंबसे समय से सरकार को अपने प्लेटफार्म पर मैसेज पढ़ने से रोक रही है। कंपनी का दावा है की Whatsapp मैसेजेज की शुरुआत कहां से हुई है, इसे एन्क्रिप्शन के कारण ट्रेस नहीं किया जा सकता। Kamakoti के अनुसार, Whatsapp मैसेजेज को ट्रैक किया जा सकता है। जानते हैं कैसे?
Whatsapp को करना पड़ सकता है प्रोडक्ट डिजाइन में बदलाव: प्रोफेसर ने कोर्ट को बताया है की एप अपने प्रोडक्ट डिजाइन में बदलाव कर के उसमें Orginator का नंबर सम्मिलित कर सकती है। ऐसे में जहां से फोर्वर्डेड मैसेज शुरू हुआ है, उसका पता लगाया जा सकेगा। इसमें किसी भी स्तर पर Whatsapp को यूजर के मैसेज पढ़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
Whatsapp इस तरह से मैसेज ट्रेस करने को यूजर प्राइवेसी के विरुद्ध मानता है। इस पर प्रोफेसर ने तर्क दिया है की Whatsapp एक प्राइवेसी-केंद्रित इकाई होने का दावा नहीं कर सकता, जब यूजर्स आसानी से किसी को भी बिना किसी जिम्मेदारी के मैसेज फॉरवर्ड कर सकते हैं। इस केस में WhatsApp, Facebook, Google, Twitter के साथ यूनियन और तमिलनाडु सरकार शामिल हैं। भारत सरकार ने Whatsapp से डिजिटली फिंगरप्रिंटिंग मैसेजेज शुरू करने को कहा है, जिससे मैसेजेज को ट्रेस किया जा सके। Whatsapp के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है। भारत में इस ऐप के 350-400 मिलियन यूजर्स हैं।
यह केस Antony Clement Rubin द्वारा फाइल की गई PIL से सम्बंधित है। इसमें साइबरक्राइम से निपटने के लिए आधार को सोशल मीडिया अकाउंट्स से लिंक को लेकर जानकारी मांगी गई थी। Kamakoti नटिनॉल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य भी हैं और पीएम को सुरक्षा के मुद्दे पर सलाह भी देते हैं।
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