चाणक्य नीति: कठिन समय में कौन है मित्र और कौन शत्रु, जानिए!

नई दिल्ली। चाणक्य नीति राजनीति के प्रकाण्ड पंडित आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलू पर कई नीतियां लिखी हैं। चाणक्य द्वारा प्राचीन काल में लिखित ये नीतियां आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक हैं। इसमें जीवन के महत्‍वपूर्ण विषयों की ओर ध्‍यान दिलाया गया है। साथ ही व्‍यक्ति के संबंधों, उसके जीवन में आने वाले सुख-दुख समेत जीवन की अन्‍य समस्याओं का जिक्र करते हुए इनके समाधन पर बात की गई है। नीति शास्त्र के अनुसार जीवन है तो दुख-सुख भी है। बुरा समय व्यक्ति की परीक्षा लेता है। इस दौरान जो धैर्य और साहस बनाए रखता है, वही सफल होता है। आप भी जानिए नीति शास्त्र की इन महत्‍वपूर्ण बातों को।

विद्या अभ्यास से सुरक्षित रहती है
नीति शास्त्र के अनुसार खाली बैठने से अभ्यास का नाश होता है. दूसरो को देखभाल करने के लिए पैसा देने से वह नष्ट होता है. गलत ढंग से बुवाई करने वाला किसान अपने बीजो का नाश करता है. अगर सेनापति सेना के साथ नहीं है, तो सेना का नाश होता है. अर्जित विद्या अभ्यास से ही सुरक्षित रह सकती है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार वासना के समान दुष्कर कोई रोग नहीं है। मोह के समान कोई शत्रु नहीं होता और क्रोध के समान कोई अग्नि नहीं, ये अंदर ही अंदर व्‍यक्ति को जलाती है

व्‍यक्ति कर्मो के परिणाम अकेले भोगता है
नीति शास्‍त्र के अनुसार व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है। वह अकेले ही मृत्‍यु को प्राप्‍त करता है। अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम भी वह अकेले ही भोगता है। वह अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है।

घर में पत्नी मित्र है
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब आप सफर पर जाते हैं, तो विद्यार्जन ही आपका मित्र होता है। इसी तरह घर में पत्नी आपकी मित्र है। ऐसे ही बीमार होने पर दवा आपकी मित्र होती है. अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है।

निर्धन को है धन की कामना
नीति शास्‍त्र के अनुसार जो व्‍यक्ति निर्धन होता है उसे धन की कामना होती है। इसी तरह पशु को वाणी की कामना होती है। लोगो को स्वर्ग की कामना होती है। जिस व्‍यक्ति के पास जो नहीं होता वह उसी की कामना करता है।

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