नई दिल्ली : जिस चाल को चलकर गृहमंत्री अमित शाह अपने पार्टी के दिल्ली चुनाव की नैय्या पार लगाना चाहते थे, अब वे खुद इस चाल में उलझते नज़र जा रहें है। उन्होंने दिल्ली चुनाव से पहले लखनऊ की एक सभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, टीएमसी नेता ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को नागरिकता संशोधन कानून पर बहस करने की चुनौती दी थी, जिसे अब अखिलेश यादव ने कबूल कर लिया है। उन्होंने कहा है कि वो जहां चाहे मैं उनसे बहस करने को तैयार हूं, बस मैं उनसे बहस नागरिकता पर नही बल्कि बेरोजगारी औऱ देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर करूंगा। जिसे इन्होंने चौपट कर दिया है।
जिसके बाद उन्होंने कहा, ”अर्थव्यवस्था कहां पहुंच गयी है उस पर बहस नहीं करना चाहते। नौकरियों के सवाल पर बहस नहीं करना चाहते, नोटबंदी के सवाल पर बहस नहीं करना चाहते। इसलिए जहां चाहें वहां विकास पर बहस करने के लिए बुला लें, हम समाजवादी लोग तैयार हैं।” इसके साथ ही उन्होंने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि जो भाषा इस्तेमाल हो रही है, ऐसी भाषा राजनीति में इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दें कि इससे पहले AIMIM सुप्रीमो ओवैसी ने NRC और CAA पर बहस को लेकर अमित शाह को ललकारा था, और उन्हें बहस करने की चुनौती थी, जिसे अभी तक शाह ने कबूल नहीं किया है। वहीं उसके विपरीत अखिलेश ने शाह से नागरिकता बिल पर बहस करने के बजाये बेरोजगारी को मुद्दा बनाया, जिससे कहा जा सकता है कि सपा शायद नागरिकता कानून पर बहस को लेकर सहीं महसूस नहीं कर रहीं। लेकिन अखिलेश की बेरोजगारी दांव औऱ ओवैसी की नागरिता कानून पर खुली चुनौती गृहमंत्री शाह और बीजेपी के लिए आने वाले चुनाव में बड़ी मुसीबत बन सकती है।
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