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टोक्यो। भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही ओलंपिक के अपने पहले मेडल से चूक गई, लेकिन टीम का ओलंपिक इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। टीम के यहां तक के पहुंचने के संघर्ष को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा। खासकर सेमीफाइनल मुकाबला हारने के बाद, जिसने सभी फैंस को सोचने पर मजबूर कर दिया।
हरिद्वार की रहने वाली वंदना कटारिया के घर पर हमला किया गया। सेमीफाइनल में टीम अर्जेंटीना से हार गई। हार के बाद वंदना के परिवारवालों को जातिसूचक गालियां दी गईं। हालांकि इसकी शिकायत पुलिस से की गई है और मामला भी दर्ज किया गया है। इससे समझा जा सकता है कि कोई खिलाड़ी जब दूर देश में आपका प्रतिनिधित्व कर रहा हो और उसके परिवारवालों के साथ ऐसा व्यवहार होता है, तो वह कितने दबाव में खेलता होगा। इसके बाद भी ब्रॉन्ज के मुकाबले में वंदना कटारिया ने ब्रिटेन के खिलाफ एक गोल किया।
वंदना कटारिया के पिता का 30 मई को निधन हो गया। इस दौरान वे नेशनल कैंप भी थीं। पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते। इस सपने को पूरा करने के लिए वंदना पिता की मौत के बाद घर नहीं आईं और तैयारियों में जुटी रहीं। 29 साल की वंदना ने एशियन गेम्स, एशिया कप और जूनियर वर्ल्ड कप में मेडल जीता है।
वंदना कटारिया ने हैट्रिक सहित 4 गोल किए
वंदना कटारिया ओलंपिक में भारत की ओर से सबसे अधिक गाेल करने वाली खिलाड़ी हैं। उन्होंने हैट्रिक सहित 4 गोल किए। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में उन्होंने तीन गोल किए थे। इस कारण टीम 4-3 से जीतने में सफल रही और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। इसके अलावा गुरजीत कौर ने भी 4 गोल किए। वंदना और गुरजीत भारत की ओर से सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी रहीं। ब्रॉन्ज का मुकाबला 2-2 से बराबर था, तब वंदना ने गोल करके भारतीय टीम को बढ़त दिलाई थी।
महिला टीम सिर्फ तीसरी बार ओलंपिक में उतरी. 2016 रियाे ओलंपिक में टीम सबसे निचले 12 वें नंबर पर रही थी। इस बार टीम ने वापसी करते हुए टॉप-4 में जगह बनाई. इससे टीम के अच्छे प्रदर्शन को समझा जा सकता है। इसके अलावा 1980 में टीम चौथे नंबर पर रही थी. टोक्यो का प्रदर्शन महिला हॉकी के ओलंपिक इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. इसे हम ही नहीं सभी फैंस लंबे समय तक याद रखेंगे।
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