हादसा: मासूम बच्चों के सामने मलबे में दफन हुई मां के साथ कई और जिंदगीया

कभी न लौट कर आने वाली मां कुछ ही मिनट पहले बच्चों को बाहर छोड़ घर के अंदर गई थी।
कुमारहट्टी-नाहन मार्ग पर ढाबा मालकिन अर्चना को मौत ने हादसे से महज कुछ मिनट पहले ही बुलावा दिया था। जमींदोज हुआ ढाबा चार मंजिल था और इसके निचले तल में मकान मालिक की रिहायश थी। इसमें ढाबा मालिक साहिल और उसके पूरा परिवार रहता था। जिस समय हादसा हुआ साहिल मौके पर नहीं था। उसकी पत्नी अर्चना अपने दो बच्चों के साथ बाहर थी।

हादसे से महज कुछ ही मिनट पहले वह बच्चों को बाहर छोड़कर अंदर चली गई। उसके अंदर जाते ही ढाबा मलबे के ढेर में बदल गया। पास खेल रहे दोनों बच्चे इस मंजर को बस देखते ही रह गए। उनकी आंखों के सामने जोरदार आवाज के साथ उनकी मां और सेना के जवान मलबे में दफन हो गए। कुछ समय के लिए पूरे इलाके में धूल का गुबार फैल गया। आसपास मौजूद लोग घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़े लेकिन हर कोई सहमा हुआ था।

सड़क पर सेना के जवानों की बस खड़ी थी और चालक के अलावा किसी का अता-पता नहीं बचा था। कुछ ही साल पहले चार मंजिला भवन बनकर तैयार हुआ था। सबसे ऊपरी मंजिल पर टिन की छत डली थी और उसी में ढाबा चल रहा था। इस जगह के आसपास कुछ अन्य होटल भी बने हैं और नाहन की तरफ जाने वाले ज्यादातर यात्री यहीं रुकते थे।

रविवार को सेना के जवानों की बस भी पिकनिक के बाद खाना खाने के लिए ढाबे पर रुकी थी। जिस जगह ढाबा बना है उसके आसपास की मिट्टी काफी कच्ची है। पिछले दो दिनों से लगातार बारिश जारी थी। इसकी वजह से ढाबे के नीचे पिलर में पानी जा रहा था और जमीन दब रही थी जो रविवार को एकदम धंस गई। इससे पूरा भवन धराशायी हो गया।

सेना के जवानों की वजह से बच पाए लोग

हादसे के बाद मौके पर पहुंचे असम राइफल के जवानों की मुस्तैदी के चलते शुरुआती दो घंटों में 18 लोगों की जान बच पाई। सेना के जवानों ने मौके पर पहुंचे स्थानीय लोगों को सबसे पहले दूर खदेड़ दिया। मार्ग में अफरा-तफरी न हो इसके लिए दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र को सील कर दिया गया और उसके बाद लयबद्ध रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। हाथों से मलबा हटाया ताकि फंसे लोगों को चोट न आए।

काम नहीं आया प्रशासन का मॉकड्रिल
जिला प्रशासन सोलन समेत पूरे प्रदेश में 11 जुलाई को मेगा मॉकड्रिल का आयोजन किया गया था। उस समय आपदा से निपटने का भरपूर अभ्यास किया गया। लेकिन जरूरत के वक्त प्रशासन के प्रयास ज्यादा काम नहीं आए। ढाबे के गिरने की घटना करीब चार बजे हुई जबकि मदद के लिए एनडीआरएफ की टीम साढ़े छह बजे के बाद मौके पर पहुंची। इस बीच पूरा नियंत्रण सेना के पास ही रहा और सैन्य कर्मी राहत व बचाव कार्य को पूरा करते रहे।

अस्पतालों में रखा अलर्ट 
हादसे की खबर मिलते ही जिला भर के सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया था। अतिरिक्त दंडाधिकारी विवेक चंदेल ने बताया कि हादसे के बाद पूरा प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद रहा। सेना के जवानों ने कार्रवाई को अपने हाथों में ले लिया था और एनडीआरएफ की टीम आने तक उन्होंने मलबे में फंसे जवानों व अन्य को निकालने की पूरी कोशिश की। इस दौरान पुलिस व प्रशासन ने बाहरी सहयोग दिया। जिसके बाद एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाला।

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