भारत-पाक के बीच वार्ता खत्म, चावला पर जताया विरोध

भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे के दूसरे दौर की बातचीत खत्म हो गई है। पाकिस्तान ने भारत को आश्वस्त किया है कि भारत विरोधी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अमृतसर। करतारपुर कॉरिडोर पर भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय बैठक खत्म हो गई है। इस बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। पाकिस्तान पक्ष ने भारत की एक मांग के जवाब मेंभारत प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि उनके द्वारा भारत विरोधी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने साथ ही कहा है कि हमने पुष्टि की है कि गोपाल सिंह चावला (पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) जैसे व्यक्तियों को उन जगहों से हटा दिया गया है जिसको लेकर हमें आपत्ति है।

इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया कि हमारी ओर से अपेक्षित उच्च मांग को देखते हुए 5,000 तीर्थयात्रियों को हर रोज गलियारे का उपयोग कर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने की अनुमति दी जाए। साथ ही भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया कि 10,000 अतिरिक्त तीर्थयात्रियों को विशेष अवसरों पर जाने की अनुमति दी जाए। साथ ही, भारत ने पाकिस्तान से अनुरोध किया कि केवल भारतीय नागरिकों को ही नहीं, बल्कि OCI कार्ड रखने वाले भारतीय मूल (PIO) के व्यक्तियों को भी करतारपुर सुविधा का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

भारत ने डेरा बाबा नानक और आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ से संबंधित संभावित चिंताओं के बारे में अवगत कराया, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर तटबंध सड़क या उसके किनारे पर पाकिस्तान द्वारा बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था और इसे अंतरिम रूप से भी नहीं बनाया जाना चाहिए।इस बैठक के दौरान  भारत की ओर से बनाए जा रहे पुल का विवरण साझा किया गया और पाकिस्तान से उनकी तरफ से पुल बनाने का आग्रह किया गया। यह बाढ़ संबंधी चिंताओं को दूर करेगा और तीर्थ यात्रा को सुगम बनाएगा।

पाकिस्तान जल्द से जल्द से जल्द पुल बनाने के लिए सहमत है। भारत ने नवंबर 2019 में गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए गलियारे को चालू करने के लिए अंतरिम व्यवस्था करने की पेशकश की है।

आज बैठक के दौरान गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एससीएल दास की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ, मोहम्मद फैसल से मिला।

करतारपुर कॉरिडोर पर जारी बैठक के बीच पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, ‘पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर को संचालित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध और सहयोग कर रहा है। 70% से अधिक गुरुद्वारा का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। हमें आज उत्पादक चर्चा होने की उम्मीद है।’

बता दें, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एससीएल दास और विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (PAI-पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान) दीपक मित्तल कर रहे हैं। वहीं बैठक में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल की अध्यक्षता में 20 पाकिस्तानी अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल शामिल हो रहा है।

भारत के दबाव के आगे झुका पाकिस्तान
इससे पहले करतारपुर कॉरिडोर वार्ता से पहले पाकिस्तान ने भारतीय दबाव में 10 सदस्यीय पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) से एक खालिस्तान समर्थक को हटा दिया, लेकिन यहां भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और उसने उसमें दूसरे खालिस्तान समर्थक को शामिल कर लिया। करतारपुर कॉरिडोर की गतिविधियों में पीएसजीपीसी समन्वयक की भूमिका निभाने वाली है। लिहाजा भारत ने इसमें खालिस्तान समर्थक तत्वों की उपस्थिति पर आपत्ति व्यक्त की थी।

मालूम हो कि करतारपुर पर दोनों देशों के अधिकारियों बीच रविवार को होने वाली बातचीत पहले दो अप्रैल को होनी थी। बैठक में इस बात पर चर्चा होनी है कि कौन-कौन से श्रद्धालु करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे, कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की आवाजाही कैसे होगी, कौन-कौन से दस्तावेज आवश्यक होंगे और क्या यह वीजा मुक्त होगा। साथ ही श्रद्धालुओं की सुगम, सुरक्षित व निर्बाध आवाजाही के लिए सुविधाओं पर भी विचार किया जाएगा।

क्यों खास है करतारपुर कॉरिडोर ?
यह गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर साहिब को गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक मंदिर से जोड़ेगा और भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के वीजा-मुक्त आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा, जिन्हें सिख संस्थापक गुरू नानक देव  द्वारा 1522 में स्थापित करतारपुर साहिब जाने की अनुमति लेनी होगी।

करतारपुर कॉरिडोर पर कब-कब हुई बातचीत ?
करतारपुर कॉरिडोर पर पहले दौर की बातचीत 14 मार्च 2019 को अटारी-वाघा सीमा के भारतीय हिस्से अटारी में आयोजित हुई थी, इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच ड्राफ्ट समझौते को अंतिम रूप देने के मुद्दों पर चर्चा की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद गलियारे पर दूसरे दौर की वार्ता की घोषणा की गई।

बातचीत में क्या होंगे प्रमुख मुद्दे ?
चर्चा में उठाए जाने वाले मुख्य बिंदुओं में से एक क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा पुल के निर्माण की भारत की मांग होगी। पाकिस्तानी सीमा पर तटबंध से भरी सड़क के निर्माण से डेरा बाबा नानक की संभावित बाढ़ को लेकर भारत ने चिंता जताई है। हालांकि भारत पहले से ही करतारपुर गलियारे के लिए सभी मौसम की कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अपनी तरफ से एक पुल का निर्माण कर रहा है, इसने पाकिस्तान से अपनी तरफ से इसी तरह का पुल बनाने का आग्रह किया है। क्योंकि यह तीर्थयात्रियों को सुरक्षित और सुरक्षित आवागमन प्रदान करेगा जबकि चिंताओं को भी संबोधित करेगा।बैठक में अन्य प्रमुख मुद्दों में तीर्थयात्रियों की संख्या होगी जो पूरे वर्ष तीर्थयात्रियों के गलियारे, सुरक्षित और निर्बाध आवाजाही तक पहुंचने की अनुमति देंगे, चाहे वे व्यक्तियों या समूहों के रूप में यात्रा करेंगे, और चाहे वे परिवहन या पैदल यात्रा करें।

करतारपुर कॉरिडोर में भारत का सहयोग
करतारपुर कॉरिडोर बनाने के लिए भारत 500 करोड़ रुपये खर्च करेगा। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अन्य अवसरों पर 10,000 तीर्थयात्रियों को पूरा करने के लिए और हर दिन 5000 तीर्थयात्रियों को पूरा करने के लिए एक ऑल वेदर सुविधा बनाने के लिए उच्च तकनीक सुरक्षा और निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर, अन्य चीजों के अलावा, पैसा खर्च किया जाएगा।

करतारपुर कॉरिडोर क्यों जरूरी ?
भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ करतारपुर मार्ग पंजाब में गुरदासपुर से तीन किलोमीटर दूर है। एक बार खुलने के बाद यह सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के करतारपुर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब तक सीधी पहुंच की अनुमति देगा, जहां गुरु नानक देव का 1539 में निधन हो गया था। सूत्रों ने कहा कि करतारपुर गलियारे (Kartarpur Corridor) पर काम 31 अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है, जो गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से पहले है।

करतारपुर साहिब: कब क्या हुआ ?
1522 : श्री गुरु नानक देव जी ने गुरुद्वारे की स्थापना की और एक किसान की तरह जिंदगी बिताने का निर्णय किया।
1539: श्री गुरु नानक देव जी ने देह का त्याग कर गुरु अंगद देव को उत्तराधिकारी बनाया।
1947: विभाजन के दौरान गुरदासपुर जिला भी दो हिस्सों में बंट गया और गरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान चला गया।
1971: पाकिस्तान के नारोवाल और भारत के गुरदासपुर को जोडऩे वाला रावी नदी पर बना पुल भारत-पाक युद्ध में तबाह हो गया।

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