लखनऊ। यूपी में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उधर, यूपी सरकार जुलाई से स्कूलों को दोबारा से खोलने की योजना बना रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारी बच्चों की सुरक्षा के साथ दोबारा स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराने की संभावना तलाश रहे हैं। लेकिन, पैरंट्स अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि कहीं स्कूल खुले तो अबतक सुरक्षित रह रहे बच्चे संक्रमण की चपेट में न आ जाएं। हालांकि, उनकी यह चिंता बेवजह नहीं है। लखनऊ के एक निजी स्कूल में 5वीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची आराध्या की मां श्रद्धा सिंह कहती हैं कि हम तो अपनी बिटिया को स्कूल खोलने के बाद भी नहीं भेज सकेंगे। उनका साफ मानना है कि स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा और ऐसे में बच्चा संक्रमित भी हो सकता है।
शैलेंद्र सिंह के बेटे आदित्य 10वीं क्लास में पढ़ते हैं. इनका भी साफ कहना है कि बच्चे तो बच्चे होते हैं. स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुश्किल है. शैलेंद्र कहते हैं कि सरकार भले ही गाइडलाइन तय कर दे, लेकिन उनको यकीन नहीं है कि स्कूल इसका पालन गाइडलाइन के हिसाब से करा पाएगा. ऐसे में बच्चे को स्कूल भेजना एक अभिभावक होन के नाते थोड़ा मुश्किल जरुर है. 8वीं में पढ़ने वाली खुशी की मां प्रीति कहती हैं कि ऑनलाइन क्लासेस तो हो ही रहे हैं, इसी से काम चलाया जा सकता है. बड़े बच्चों का स्कूल भेजा जा सकता है. क्योंकि वो समझदारी दिखा सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चों के लिए कोई रिस्क नहीं लिया जा सकता.
स्कूल खोले जाने के सवाल पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा कहते हैं कि सरकार जुलाई में स्कूल खोलने की तैयारी कर रही है. लेकिन कोराना के प्रभाव को देखते हुए ही निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 हजार पार कर चुकी है. ऐसे में अभिभावकों का डर लाजिमी है। दरअसल, शिक्षा निदेशालय ने 7 जून तक सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, अध्यापकों, अभिभावकों की कमिटी से सुझाव मांगे हैं. इसके बाद जुलाई से स्कूल खोलने के लिए योजना बनाई जाएगी।
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