माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में 10 साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना, 16 साल बाद आया फैसला

Mukhtar Ansari

अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी-एमएलए कोर्ट में सांसद अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी पर चल रहे 15 साल पुराने गैंगस्टर के मुकदमे में फैसला सुनाया गया। इस केस में मुख्‍तार अंसारी को दस वर्ष की कैद और पांच लाख का जुर्माना लगा है। अफजाल पर फैसला थोड़ी देर में फैसला सुनाया जाएगा।

गैंगस्टर के मामले में पुलिस ने वर्ष 29 नवंबर 2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय, उनके गनर सहित सात लोगों की बसनिया गांव के सामने गोलियों से भूनकर हत्या करने का मुकदमा को भी आधार बनाया था। इसके अलावा कोयला व्यवसायी नंदकिशोर रूंगटा अपहरण कांड को भी शामिल किया था।हालांकि इन दोनों मामले में अंसारी बंधु बरी हो चुके है। सांसद के मुकदमे में कोर्ट के फैसले को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। एसपी आफिस के पास बैरिकेड़िंग कर दी गई है। नगर के लंका स्टैंड, सिंचाई विभाग चौराहा, शास्त्रीनगर, नगरपालिका चौराहा समेत अन्य स्थानों पर भारी पुलिस बल लगा हुआ है।

22 नवंबर 2007 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल और वाराणसी के मामले को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर हैं। 23 सितंबर 2022 को सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध न्यायालय में प्रथम दृष्टया आरोप तय हो चुका है।

अभियोजन की तरफ से गवाही पूरी होने के बाद बहस पूरी हो गई। फैसले के लिए कोर्ट ने 15 अप्रैल की तिथि नियत की थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण फैसला नहीं आ सका था। शनिवार को यानी आज फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की गई है।

पुलिस ने अफजाल अंसारी व मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर में निरुद्ध करने में मुहम्मदाबाद से अफजाल को हराकर भाजपा से विधायक बने कृष्णानंद राय की हत्या और कोयला व्यवसायी रुंगटा कांड को आधार बनाया था। हालांकि दोनों मामले में अफजाल बरी हो चुके हैं। इसी को आधार बनाकर अफजाल ने गैंगस्टर के खिलाफ हाइकोर्ट गए थे। तर्क दिया था कि जब मेन केस में बड़ी हो गए तो इसको आधार बनाकर की गई गैंगस्टर की कार्रवाई निरस्त होनी चाहिए। हालांकि राहत नहीं मिली थी।

गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी वैसे तो छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे,लेकिन उन्होंने सक्रिय राजनीति में भागीदारी वर्ष 1985 के विधान सभा चुनाव से की। पहली बार वह वर्ष 1985 में भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। इसके बाद उनका जीत का सिलसिला 1989,91,93 व 96 तक चलता रहा। वर्ष 2002 के विधान सभा चुनाव में वह भाजपा के कृष्णानंद राय से चुनाव हार गये। वह वर्ष 1993,96 व 2002 का चुनाव सपा के टिकट पर लड़े।

विधान सभा चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उन्हे वर्ष 2004 में लोकसभा का टिकट दिया। इस चुनाव में वह भाजपा के मनोज सिन्हा को हराए। इस बीच 29 नवंबर 2005 को विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद जेल चले गए। जेल जाने के दौरान सपा से राजनीतिक मतभेद होने के बाद वह वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव गाजीपुर संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर लड़े और चुनाव हार गये। इसके पश्चात उन्होंने अपना कौमी एकता दल बनाया। वर्ष 2014 में बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके पश्चात वह 2019 में गाजीपुर संसदीय सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सप बसपा गठबंधन से चुनाव लड़े और तत्कालीन केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हराकर सांसद बने। फिलहाल वह गाजीपुर के सांसद है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*