लॉकडाउन: यूपी के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना होंगे क्वारंटाइन, ये है वजह!

मेरठ। यूपी के मेरठ मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कुल तीन मरीजों के कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। इसके पीछे वजह ये है कि मंगलवार को योगी सरकार के कैबिनेट के मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल कॉलेज का दौरा 1 जून को किया था। दरअसल, मंत्री ने अपने दौरे के दौरान इमरजेंसी वार्ड में बिना हाथों में दस्ताने पहने और बिना पीपीई किट के वार्ड दाखिल हुए थे। उनके साथ कई स्थानीय भाजपा नेता भी पहुंचे हुए थे। मेरठ के कई आलाधिकारी भी मंत्री जी के निरीक्षण के दौरान पहुंचे हुए थे. मेरट कैंट के सीओ हरिमोहन भी इस दौरान ड्यूटी कर रहे थे. हालांकि तीन मरीजों की रिपोर्ट आने के बाद सीओ हरिमोहन ने खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया है।

डीएम ने दी ये दलील

इमरजेंसी में भर्ती मरीज़ों के कोरोना पॉज़िटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमें और ज़िला प्रशासन में तो हड़कंप मचा ही हुआ है. कई पत्रकारों में भी हड़कंप है, क्योंकि यहां कई मीडियाकर्मी भी कवरेज के लिए पहुंचे हुए थे. हालांकि डीएम का कहना है कि मेडिकल की इमरजेंसी में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया था. डीएम का कहना है कि मंत्री जी भी मरीज़ों से एक निश्चित दूरी से मिले थे. लेकिन उस वक्त की तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. सोमवार को जब मंत्री जी निरीक्षण कर रहे थे तो मेडिकल की इमरजेंसी में अच्छी ख़ासी भीड़ थी.

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि प्रमुख सचिव को इस बावत जानकारी दे दी गई है. प्रिंसिपल का भी कहना है कि निरीक्षण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था. उनका कहना है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री मरीज़ से काफी दूर थे. मंत्री ने मास्क लगा रखा था और सैनेटाइज़र का भी लगातार इस्तेमाल किया जा रहा था. प्राचार्य का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति से अगर पन्द्रह मिनट तक संपर्क रहे तो संपर्क माना जाता है.

क्या मंत्रीजी होंगे क्वारंटाइन

देखने वाली बात होगी कि क्या मंत्री सुरेश खन्ना भी होम क्वारंटाइन होंगे या फिर नहीं. स्थानीय बीजेपी नेता होम क्वारंटाइन होंगे या नहीं. उनके सैंपल जांच के लिए लिए जाएंगे या नहीं. लेकिन इस सबके बीच मेडिकल कॉलेज की ऐसी लापरवाही समझ से परे हैं. सवाल ये है कि जब इमरजेंसी में कोरोना के संदिग्ध मरीज़ भर्ती थे. उनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे तो ऐसे मरीज़ों से मंत्री क्यों मिलवाया गया और उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कोरोना संदिग्धों को लेकर अंधेरे में क्यों रखा गया.

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