आज से 5 साल पहले तक ना स्मार्टफोन का क्रेज था और ना ही सेल्फी शब्द से लोग इतने वाकिफ थे। स्मार्टफोन के शुरुआती दौर में लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते थे और वीडियो देखते थेए लेकिन जैसे.जैसे फोन में कैमरे की क्वालिटी सुधरती गईए वैसे.वैसे लोग सेल्फी के दीवाने होते गए। आज हालत यह है कि फोन में 32 मेगापिक्सल के फ्रंट कैमरे मिलने लगे हैंए जबकि एक साधारण डिजिटल कैमरा में 16 मेगापिक्सल का लेंस मिल रहा है। वहीं सिर्फ 5 सालों में स्मार्टफोन का बाजार इतनी तेजी से बढ़ा कि आज लोग सेल्फी की चक्कर में जान देने से भी नहीं कतरा रहे हैं।
सेल्फी लेने में महिलाएं सबसे आगे
रिपोर्ट की मानें तो सेल्फी लेने में महिलाएं सबसे आगे हैंए हालांकि महिलाएं सेल्फी के लिए जान जोखिम में डालने में पीछे हैं। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक युवा पुरुष सेल्फी के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। रिपोर्ट में सेल्फी से होने वाली मौत को तीन हिस्सों में बांटा गया है जिनमें डूबनेए दुर्घटनाग्रस्त होने और ऊंची जगह से गिरना शामिल है। सेल्फी से होने वाली मौत को ध्यान में रखते हुए गोवाए दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के कई इलाकों को नो.सेल्फी जोन में भी तब्दील कर दिया गया है।
सेल्फी के दौरान होने वाली मौतों पर एक नजर
जानवरों के साथ सेल्फी के कारण मौत. 8
डूबने से होने वाली मौत. 70
बिजली के झटके लगने से मौत. 16
गिरने से होने वाली मौत. 48
आग से मौत. 48
अन्य वजहों से मौत. 7
वाहनों के साथ सेल्फी से मौत या सड़क पर सेल्फी के दौरान मौत. 51
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