नई दिल्ली। बॉलिवुड के जाने-माने एक्टर प्रोड्यूसर आमोल पालेकर ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कला और संस्कृति भी सरकारी अतिक्रमण का शिकार हो रही है। यहां भी अब अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने के प्रयास हो रहे हैं। दरअसल, बीते शुक्रवार को आमोल पालेककर जब नेशनल गैलरी ऑप मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) के एक कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे तो उन्हें अपना संबोधन बीच में खत्म करने के लिए बाध्य किया गया। पालेकर अभिनेता और निर्माता के साथ एक कुशल चित्रकार भी हैं।
एनजीएमए ने जाने-माने कलाकार प्रभाकर बर्वे की स्मृति में आयोजित ‘इनसाइड द एम्प्टी बॉक्स’ शीर्षक से आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करने के लिए पालेकर को आमंत्रित किया था। उन्हें पहले से निर्धारित विषय ‘लॉस ऑफ इंडिपेंडेंस’ पर व्याख्यान देना था। पालेकर ने एनजीएमए को संस्कृति मंत्रालय के अधीन किये जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय मनमाने ढंग से फैसले ले रहा है। एनजीएमए की स्थानीय कलाकारों की समिति को भंग कर देना सरकार के तानाशाही का नमूना है। पालेकर ने अपने संबोधन में भी इन्हीं सब मुद्दों को उदाहरण के तौर पर पेश किया था। अपने पहले से तैयार भाषण को पालेकर पढ़ रहे तो प्रदर्शनी के आयोजक सुहास बाहुलिकर और अनीता रूपावतरम ने उन्हें रोक कर कहा कि यह प्रदर्शनी प्रभाकर बर्वे को समर्पित है, उन्हीं से संबंधित विषय के अतिरिक्त कुछ न बोलें। इस पर पालेकर ने कहा कि आप मेरे उद्बोधन पर सेंसर लगा रहे हैं। यही तो लॉस ऑप इंडिपेंडेंस है। वहां मौजूद अन्य लोगों के हस्तक्षेप से पालेकर ने अपनी बात पूरी की। पालेकर ने कहा कि कुछ दिनों पहले इसी तरह नयनताारा सहगल के आमंत्रण को संस्कृति मंत्रालय ने वापस ले लिया था क्यों कि उनका भाषण भी सरकार की नीतियों के खिलाफ बताया जा रहा था।
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