
यूनिक समय, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 72 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में केंद्र सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। हालांकि, कोर्ट ने तत्काल इस कानून पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन इससे जुड़े देशभर में हो रहे विरोध और हिंसा को लेकर चिंता जताई।
बुधवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने करीब दो घंटे तक पक्षों की दलीलें सुनीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन और सी यू सिंह ने तर्क रखे, जबकि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क है कि वक्फ संशोधन कानून मुसलमानों के धार्मिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह भेदभावपूर्ण है।
कोर्ट ने विशेष रूप से वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों को शामिल किए जाने के प्रावधान पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सरकार इसी तरह मुसलमानों को मंदिर प्रबंधन बोर्डों में शामिल करने की इजाजत देगी? इसके अलावा, ‘वक्फ बाई यूज़र’ की व्यवस्था हटाए जाने पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए और कहा कि इससे ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर असर पड़ सकता है।
बेंच ने यह भी संकेत दिया कि वह कानून के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर अंतरिम आदेश पारित कर सकती है। चीफ जस्टिस ने कहा, “सामान्यतः किसी कानून पर अदालत शुरुआत में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन इस मामले में अपवाद हो सकता है क्योंकि इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं।”
आज की सुनवाई में शीर्ष अदालत से किसी अंतरिम आदेश की उम्मीद की जा रही है, जो वक्फ कानून के भविष्य की दिशा तय कर सकता है।
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