धनवान व्यक्ति को हमेशा चार से हमेशा भय बना रहता है

यूनिक समय, मथुरा। हिन्दू धर्म में महाभारत का पांचवां वेद कहा गया हैँ इसे बहुत ही पवित्र ग्रंथ माना गया है। इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़ी अनेक बातें भी बताई गई हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक है। महाभारत के एक श्लोक में बताया गया है कि धनवान लोगों को किन लोगों से हमेशा भय लगा रहता है। जानिए कौन हैं वो…..

श्लोक
राजत: सलिलादग्नेश्चोरत: स्वजनादपि।
भयमर्थवतां नित्यं मृत्यो: प्राणभूतामिव।।

अर्थ- धनवान व्यक्ति को राजा, अग्नि, चोर और स्वजनों से भी उसी प्रकार का डर रहता है, जैसा सभी लोगों को मृत्यु का भय रहता है।
धनवान लोगों को राजा यानी शासन से हमेशा डर लगता है। पुराने समय में राजा धनी लोगों के धन को कभी भी हड़प सकते थे। इस कारण धनी लोगों को राजा से ठीक वैसा ही डर रहता था, जैसे सभी लोग मृत्यु से डरते हैं।

चोर ऐसे लोगों को सबसे पहले अपना शिकार बनाते हैं, जिनके पास बहुत धन होता है। चोरों से धन को बचाने के लिए पूरी सुरक्षा करनी चाहिए। चोरों के संबंध में की गई थोड़ी-सी भी लापरवाही नुकसानदायक हो सकती है।

जिन लोगों के पास बहुत धन होता है, वे आग से भी बहुत डरते हैं। आग पलभर में ही अपार धन-संपत्ति को भी राख बना सकती है और थोड़ी ही देर में धनवान दरिद्र हो सकता है। इसी कारण धनी लोगों को अग्नि से सावधान रहना चाहिए।

गरीब लोगों के रिश्तेदार उनसे दूर ही रहते हैं, जबकि धनी लोगों के यहां रिश्तेदारों की भीड़ रहती है। बहुत से रिश्तेदार धन के लालच में ही धनी लोगों से संबंध बनाए रखते हैं। इसी कारण धनवान व्यक्ति को ऐसे रिश्तेदारों से भी खतरा रहता है।

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