
यूनिक समय, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने देशभर में जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया है। आज़ाद भारत में यह पहली बार होगा जब केंद्र स्तर पर जातियों की गणना की जाएगी। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों में इसे अपनी उपलब्धि बताने की होड़ मच गई है। दिल्ली से लेकर पटना तक पोस्टरों की सियासत शुरू हो गई है, जहां अलग-अलग दल इस पहल का श्रेय अपने नेताओं को देने में जुटे हैं।
दिल्ली की सड़कों पर लगे कांग्रेस के पोस्टरों में राहुल गांधी को जातिगत जनगणना का जनक बताया गया है। पोस्टरों में लिखा है, “झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए”। वहीं, पटना में कांग्रेस ने पोस्टर लगाकर लिखा, “सरकार किसी की हो, सिस्टम गांधी का ही चलेगा”। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी अपने पोस्टरों में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को धन्यवाद देते हुए खुद को इस पहल का असली सूत्रधार बताया है।
इन दावों पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस फैसले के बाद बेचैन हो गए हैं और अपनी राजनीतिक विरासत बचाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधान ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या 1951 में जब पहली जनगणना हुई थी, तब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी? उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से वंचित वर्गों के अधिकारों के खिलाफ रही है और जाति आधारित आरक्षण के प्रति उसका रवैया दोहरा रहा है।
94 साल बाद केंद्र सरकार जातियों की गिनती कराने जा रही है। पिछली बार 2011 की जनगणना में जातीय आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन वे कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। अब केंद्र सरकार की घोषणा के साथ जाति आधारित नीतियों और योजनाओं को नया आधार मिलने की उम्मीद है।
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