बिहार विधानसभा चुनाव में यूं तो मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में ही होगा. बावजूद, इसके इतर तीन ऐसे सियासी चेहरे हैं जो विधान सभा चुनाव में अपनी अहमियत दिखाने को बेताब हैं और वे सूबे की सियासत को बदल भी सकते हैं. वाकई यदि ऐसा होता है तो वे एनडीए और महागठबंधन को झटका भी दे सकते हैं. ऐसे में कौन हैं वह तीन चेहरे जो सियासी हलचल कर सकते हैं उन पर डालते हैं एक नजर.
कन्हैया कुमार : वाम दल का वो चेहरा जिसके सहारे बिहार में वाम पंथ फिर से अपने पुराने स्वरूप को पाने की कोशिश में जुटा हुआ है वह है कन्हैया कुमार. कन्हैया बिहार में एनपीआर, एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दे को उठाकर न सिर्फ अपना जनधार बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं बल्कि विरोधियों को भी परेशान कर रखा है. खासकर मुस्लिम वोटरों में कन्हैया की अच्छी पैठ बनती जा रही है. जिससे राजद और जेडीयू भी परेशान हैं.
पप्पू यादव : जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव लोक सभा चुनाव हारने के बाद से लगातार बिहार में सक्रिय हैं. लगातार कई जिलों में घूम कर अपनी पार्टी की जमीन बनाने में जुटे हुए हैं. एनआरसी, सीएए जैसे मुद्दे के बहाने मुस्लिम और यादव बहुल इलाकों में वे विरोधियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. खासकर कोशी और सीमांचल जैसे इलाकों में थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में लगातार प्रयास कर रहे हैं जो महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है.
प्रशांत किशोर : जेडीयू से निकाले जाने के बाद से ही प्रशांत किशोर लगातार इस कोशिश में हैं कि वे कैसे बिहार में एनडीए को शिकस्त दें. बात बिहार की के नाम पर उनकी संस्था आई पैक लगातार युवाओं को जोड़ने में लगी है. इसके साथ ही वे महागठबंधन के घटक दलों के कुछ नेताओं के साथ बैठक कर राजद पर भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं बिहार में एक मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश भी वे अंदर ही अंदर कर रहे हैं.
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