ये है दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर, इस हवा में सांस लेने से हर साल मरते हैं 70 लाख लोग

बांग्लादेश की राजधानी ढाका को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा(most polluted city in the world) दिया गया है। गुरुवार को सुबह 8:50 बजे ढाका का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 141 दर्ज किया गया। पाकिस्तान के लाहौर और संयुक्त अरब अमीरात के दुबई ने लिस्ट में क्रमशः 131 और 117 के एक्यूआई स्कोर के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर जगह बनाई है। बता दें कि 101 और 200 के बीच AQI को “अनहेल्दी” माना जाता है, खासकर सेंसेटिव ग्रुप के लिए, जिन्हें सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। इसी तरह, 201 और 300 के बीच AQI को खराब-poor कहा जाता है, जबकि 301 से 400 की रीडिंग को खतरनाकhazardous माना जाता है, जो लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

AQI दैनिक वायु गुणवत्ता(daily air quality) की रिपोर्ट करने के लिए एक इंडेक्स है। इसका प्रयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा लोगों को यह अलर्ट करने के लिए किया जाता है कि एक निश्चित शहर की हवा कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है और इससे जुड़े स्वास्थ्य प्रभाव उनके लिए कितने चिंता का विषय सकते हैं।

बांग्लादेश में AQI पांच मानदंड प्रदूषकों – पार्टिकुलेट मैटर (PM10 और PM2.5), NO2, CO, SO2 और ओजोन पर आधारित है। ढाका लंबे समय से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। इसकी वायु गुणवत्ता आमतौर पर सर्दियों के दौरान बेहद खराब हो जाती है और मानसून के दौरान इसमें सुधार होता है। सर्दियों के आगमन के साथ कंस्ट्रक्शन वर्क्स, कच्ची सड़कों, ईंट भट्टों और अन्य सोर्स से प्रदूषक कणों(pollutant particles) के बड़े पैमाने पर निकलने के कारण शहर की वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ने लगती है।

वायु प्रदूषण लगातार दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता के लिए टॉप रिस्क फैक्टर्स में शुमार है। कई अध्ययनों के अनुसार, प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेने से हृदय रोग, पुरानी सांस की बीमारियां, फेफड़ों के संक्रमण और कैंसर के डेवलप होने की संभावना बढ़ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण से हर साल दुनिया भर में अनुमानित 70 लाख लोगों की मौत होती है। मुख्य रूप से स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों के कैंसर और तीव्र श्वसन संक्रमण से मृत्यु दर में वृद्धि से ये मौतें होती हैं।

वायु प्रदूषण का मतलब हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य गैसों व धूलकणों के विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक होना है। वायु प्रदूषण के सूचकांक को संख्या में बदलकर एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया जाता है। इससे पता चलता है कि हवा कितनी शुद्ध या खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के छह कैटेगरी हैं।

अच्छा (0–50)- इसका मतलब है कि हवा साफ है। इससे सेहत पर खराब असर नहीं पड़ेगा।
संतोषजनक (51–100)- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत हो सकती है।
मध्यम प्रदूषित (101–200)- अस्थमा जैसे फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो सकती है।
खराब (201–300)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
बहुत खराब (301–400)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों में सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
गंभीर रूप से खराब (401-500) – स्वस्थ लोगों में भी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है।

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