सैन फ्रांसिस्को/नई दिल्ली। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उबर राइड-शेयरिंग सेवा ने श्रम और टैक्सी कानूनों में ढील देने के लिए नेताओं की पैरवी की। गार्जियन ने उबर कंपनी के आंतरिक डेटा, ईमेल और डॉक्यूमेंट्स प्राप्त किए थे। ये डॉक्यूमेंट्स खोजी पत्रकारों के एक गैर-लाभकारी नेटवर्क, इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स के साथ साझा किए गए थे। ICIJ ने दस्तावेजों की छानबीन की।
जांच में पता चला कि 2009 में स्थापित उबर ने टैक्सी नियमों को दरकिनार करने और राइड-शेयरिंग ऐप के माध्यम से सस्ती परिवहन की पेशकश करने की मांग की। कंपनी ने लगभग 30 देशों में खुद को स्थापित किया। कंपनी के लिए पैरवी करने वालों ने सरकारी अधिकारियों पर अपनी जांच छोड़ने, श्रम और टैक्सी कानूनों को फिर से लिखने और ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की जांच में ढील देने का दबाव डाला।
जांच में यह भी पाया गया कि उबर ने सरकारी जांच को रोकने के लिए स्टील्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए कंपनी ने “किल स्विच” का इस्तेमाल किया। इसने उबर सर्वर तक पहुंच कम कर दिया। अधिकारियों को कम से कम छह देशों में छापे के दौरान सबूत हथियाने से रोका गया। नीदरलैंड में छापे के दौरान उबर के पूर्व सीईओ ट्रैविस कलानिक ने व्यक्तिगत रूप से आदेश जारी किया कि किल स्विच ASAP को हिट करें… AMS (एम्स्टर्डम) में एक्सेस बंद होना चाहिए।
कंसोर्टियम ने यह भी बताया कि कलानिक ने फ्रांस में उबर ड्राइवरों के खिलाफ पीड़ित टैक्सी ड्राइवरों के हिंसा के खतरे को आम लोगों से समर्थन पाने के मौके के रूप में देखा। उन्होंने अपने सहकर्मियों को संदेश दिया कि हिंसा सफलता की गारंटी है। रविवार को कलानिक के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व सीईओ ने “कभी यह सुझाव नहीं दिया कि उबर को ड्राइवर की सुरक्षा की कीमत पर हिंसा का लाभ उठाना चाहिए।
प्रवक्ता की एक लिखित प्रतिक्रिया ने स्वीकार किया कि अतीत में “गलतियां” की गई थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2017 में नियुक्त सीईओ दारा खोस्रोशाही को उबर के संचालन के हर पहलू को बदलने का काम सौंपा गया था। प्रवक्ता ने कहा कि जब हम कहते हैं कि आज उबर एक अलग कंपनी है तो हमारा शाब्दिक अर्थ है। दारा के सीईओ बनने के बाद उबर के वर्तमान 90 फीसदी कर्मचारी शामिल हुए। कंसोर्टियम का यह भी दावा है कि कंपनी ने बरमूडा और अन्य टैक्स हेवन के माध्यम से मुनाफा भेजकर अपने टैक्स बिल में लाखों डॉलर की कटौती की। इसके बाद इसने अधिकारियों को अपने ड्राइवरों से टैक्स एकत्र करने में मदद करके अपनी टैक्स देनदारियों से ध्यान हटाने की कोशिश की।
5 दिसंबर 2014 को नई दिल्ली में उबर कैब में एक महिला यात्री के साथ उसके ड्राइवर द्वारा बलात्कार किए जाने का मामला प्रकाश में आया था। इस घटना से उबर के सैन फ्रांसिस्को स्थित मुख्यालय के अंदर दहशत थी। कंपनी ने कहा कि ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की जांच की “त्रुटिपूर्ण” भारतीय प्रणाली के कारण आरोपी शिव कुमार यादव ने दूसरा यौन उत्पीड़न अपराध किया। उस समय उबर के यूरोप और मध्य पूर्व के लिए सार्वजनिक नीति के प्रमुख मार्क मैकगैन ने 8 दिसंबर को कंपनी के एक आंतरिक मेल में लिखा था कि इस संकट पर बातचीत हो रही है।
मामले को मीडिया द्वारा प्रमुखता से उठाया जा रहा है। आरोपी भारतीय ड्राइवर को लाइसेंस मिला हुआ था। ऐसा कमजोर और गलती वाली लाइसेंसिंग योजना के चलते हुआ। रेप की घटना से उबर को दिल्ली में सबसे खराब स्थिति का सामना करना पड़ा था। दिल्ली सरकार ने उसकी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था और उबर कैब को सड़कों पर वापस लाने में सात महीने लगे। दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से यह हो सका।
उबर के पूर्व सीईओ ट्रैविस कलानिक ने कहा था कि हिंसा सफलता की गारंटी है। द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि उबर का तेजी से विस्तार सब्सिडी वाले ड्राइवरों और किराए में छूट पर निर्भर करता है। उबर अक्सर टैक्सी और लीवरी सेवा के रूप में काम करने के लिए लाइसेंस भी नहीं मांगती। 2016 में यूरोप भर में उबर के ड्राइवरों को हिंसक प्रतिशोध का सामना करना पड़ा था। टैक्सी ड्राइवरों को लगा था कि उनकी आजीविका को खतरा है। जांच में पाया गया कि कुछ मामलों में जब ड्राइवरों पर हमला किया गया था तो उबर के अधिकारियों ने सार्वजनिक और नियामक समर्थन पाने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया। गार्जियन के अनुसार उबर ने बेल्जियम, नीदरलैंड, स्पेन और इटली सहित यूरोपीय देशों में इसी तरह की रणनीति अपनाई है। उबर ने ड्राइवरों को जुटाया और उन्हें हिंसा के शिकार होने पर पुलिस में शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि रियायतें प्राप्त करने के लिए मीडिया कवरेज का उपयोग किया जा सके।
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