उद्धव ठाकरे की सरकार पर मंडराने लगे हैं संकट के बादल, ​जानिए वजह

बेंगलुरु। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को अभी मुख्यमंत्री बने कुछ ही दिन हुए है कि अभी से इस गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडलाने लगे। इसका कारण केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संसोधन बिल है। इस बिल को लेकर महाराष्ट्र में हाल ही में गठित महाविकास अघाडी सरकार में विरोध के स्वर प्रारम्भ हो गए हैं। नागरिकता संसोधन बिल लोकसभा में पेश पास भी हो चुका है। इस बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में केवल 80 मत पड़े।

महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली शिवसेना ने इस बिल का समर्थन करने का ऐलान किया था।  इस संबंध में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर उनकी पार्टी का समर्थन जारी रहेगा, चाहे केंद्र की सत्ता किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास हो। अब कांग्रेस नेताओं द्वारा शिवसेना के इस निर्णय को सेक्युलर भावनाओं पर बनी सहमति के खिलाफ माना जा रहा है। सूत्रों से मिल खबरों की मानें तो अब इसी बात को लेकर कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के सपोर्ट को लेकर कांग्रेस उद्धव ठाकरे से सफाई मांगने वाली है।

अगर शिवसेना ने इस मामले में किसी प्रकार की दादागिरी दिखाई तो महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार गिर भी सकती है। शिवसेना और कांग्रेस उद्धव सरकार से समर्थन वापस ले सकती है।

अब भी नहीं समझे मोदी और शाह तो फिर देखी जाएगी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह अब भी समझ जाएं, यदि अब भी नहीं समझेंगे तो फिर देखी जाएगी। देखते हैं आगे क्या होता है। संसद में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूछे सवाल पर सीएम अशोक गहलोत ने मोदी और शाह का नाम लिए बगैर कहा कि ये लोग देश को किस दिशा में ले जाएंगे…ये तो टाइम बताएगा। मुल्क किस दिशा में जा रहा है, जहां बोलने की आजादी न हो, असहम होने पर उसे अपना दुश्मन मानते हो, विद्वानों पर देशद्रोह के मुकदमें बनते हो ये लोकतंत्र में सुना नहीं है। इसलिए हम बार बार कह रहे हैं कि देश का लोकतंत्र खतरे में हैं। अब जनता को समझना पड़ेगा… जनता समझ भी रही है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हरियाणा व महाराष्ट्र के चुनावों में जो परिणाम आए हैं उनसे इनकी आंखें खुल जानी चाहिए। राष्ट्रवाद की बात करना, 370 की बात करना ये तमाम इश्यू अपनाए थे पीएम मोदी और शाह ने। इसके बावजूद महाराष्ट्र और हरियाणा में क्या उनकी सरकार बन गई। वहां उनको मुंह की खानी पड़ी। अब तो उनको समझ में आ जाना चाहिए।

बता दें कि लोकसभा में सोमवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल पेश किया। विपक्षी पार्टियों के जबरदस्त विरोध के चलते नागरिकता संशोधन बिल सीधे पेश नहीं हो पाया। तीखी बहस के बीच मतदान के जरिए इसे पेश किया जा सका। इस बिल को पेश करने के पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े। सोमवार को सदन में कुल मतदान 375 हुआ था।

नए बिल के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं बल्कि 6 साल तक देश में रहना अनिवार्य होगा।

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