यूपी तय करेगा नीतीश कुमार का मूड, लेकिन मोदी के सामने कौन है पीएम मटीरियल ?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव के साथ लखनऊ में एक बड़ा बयान दिया-यहां से योगी जाएगा तो बीजेपी हर जगह साफ हो जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि ममता और अखिलेश कांग्रेसविरोध की राजनीति कर रहे हैं। लेकिन ममता की कोशिश 2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ गैर कांग्रेसी गठबंध तैयार करने की है। तो याद रहे कि कभी नीतीश कुमार को भी गैर कांग्रेसियों ने पीएम मटीरियल बताया था। संयोग से नीतीश का मूड भी यूपी के नतीजों से बदलता रहता है।
9 जून 2013 को गोवा अधिवेशन में नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव के लिए कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया। उधर 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को न बुलाने की शर्त जीत चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उखड़े हुए थे। साफ बता दिया कि अगर मोदी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बने तो वो भारतीय जनता पार्टी से अलग हो जाएंगे। उम्मीदवारी तो सितंबर में घोषित हुई । नौ जून को तो मोदी सिर्फ प्रचार समिति के प्रमुख बने थे। फिर भी नीतीश कुमार ने सात दिन बाद 16 जून को एनडीए से अलग होने का फैसला कर लिया। मोदी लहर में लोकसभा की प्रचंड जीत जब 2017 में उत्तर प्रदेश में दोहराई गई तो नीतीश समझ गए कि उनके पीएम मटीरियल के पार्टिकल्स बिखर चुके हैं। उधर योगी आदित्यनाथ लखनऊ में गद्दीनशीं हुए इधर लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को डिप्टी बनाकर महागठबंधन चला रहे नीतीश को लालू में फिर चारा चोर नज़र आने लगा।
योगी के सीएम बनने के तीन महीने के भीतर पटना में बीजेपी के समर्थन से नीतीश फिर एनडीए के नेता हो गए। ढलती उम्र में ये उनका आखिरी कार्यकाल माना जा रहा है। चर्चा है 2025 विधानसभा चुनाव से एक साल पहले ही केंद्र का रुख करेंगे। उधर स्पेशल स्टेटस, शराबबंदी, जातीय जनगणना पर बीजेपी से तनाव चरम पर है। और उत्तर प्रदेश में चुनाव चरम पर है। इशारा समझ गए होंगे। यूपी की विशालता देश की राजनीति का आकार तय करती है। लिहाजा कल यानी 10 फरवरी से शुरू हो रहे सात चरणों के चुनाव राष्ट्रयी दृष्टिकोण से बेहद अहम हैं।
यूपी में अगर 2017 के परिणाम दोहराने में भाजपा सफल होती है तो 2024 की राह आसान हो जाएगी। इसमें कोई शक नहीं। साथ ही नीतीश कुमार जैसे सहयोगियों को भी साफ संदेश चला जाएगा। यही नहीं पश्चिम बंगाल में 3 से 83 तक पहुंची भाजपा कार्यकर्ताओं को जोश मिलेगा, नवीन पटनायक झुकेंगे या यूं ही नरम रहेंगे और दक्षिण में अपनी सीमा बढ़ाने पर पार्टी फोकस करेगी। लेकिन संख्या के लिहाज से देखें तो विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में हो रहे हैं। सिर्फ पंजाब ही ऐसा प्रदेश है जहां बीजेपी पर दबाव कम है। यूपी, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में बीजेपी सरकार में दोबारा वापसी की लड़ाई लड़ रही है। उत्तराखंड में सत्ताविरोधी लहर से निपटने के लिए भाजपा तीन सीएम बदल चुकी है। गोवा में चिदंबरम डेरा डाले हुए हैं। मणिपुर में ममता बनर्जी उभरने की कोशिश कर रही हैं। ममता तो लखनऊ में भी कैंप कर चुकी हैं। अखिलेश के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अगर भाजपा यूपी से जाती है तो हर जगह से साफ हो जाएगी।

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