यूपी: योगी सरकार की धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और संचालन के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन, रख-रखाव और संचालन के संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अहम बैठक लखनऊ में करने जा रहे हैं। शाम 6.30 बजे होने वाली इस बैठक में सीएम योगी धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन अध्यादेश-2020 का प्रस्तुतीकरण देखेंगे।

जानकारी के अनुसार अपर मुख्य सचिव धर्मार्थ कार्य धार्मिक स्थल रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन अध्यादेश 2020 का प्रस्तुतीकरण देंगे। मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर होने वाली इस बैठक के दौरान प्रोजेंटेशन में उत्तर प्रदेश के तमाम धार्मिक स्थलों के संचालन और रख-रखाव के लिए बनने वाली गाइडलाइंस पर बात होगी। दरअसल यूपी सरकार मंदिरों, मस्जिदों और दूसरे धार्मिक स्थलों के संचालन के लिए नियम-कायदे तय करने की कवायद कर रही है। उसी सिलसिले मे गाइडलाइंस बनाने का काम चल रहा है।

निदेशालय गठन का प्रस्ताव हो चुका है मंजूर
दरअसल पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में सीएम योगी की अध्यक्षता में निदेशालय गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है। कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि बीते साढ़े 3 साल में प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्थलों को विशेष पहचान दिलाने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुत कार्य किए गए हैं। काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, विंध्याचल धाम के साथ ही प्रदेश के अन्य तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

निदेशालय की ये होगी व्यवस्था
अब प्रदेश में धार्मिक गतिविधियों के सहज एवं सुचारू संचालन के लिए विभाग में निदेशालय गठित किया जा रहा है। निदेशालय का मुख्यालय वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से उपलब्ध कराए गए भवन में होगा, जबकि उप कार्यालय गाजियाबाद स्थित कैलास मानसरोवर भवन में होगा।

निदेशालय में एक निदेशक, दो संयुक्त निदेशक, एक लेखाधिकारी, दो कार्यालय अधीक्षक, तीन आशुलिपिक, दो स्थापना सहायक, दो कम्प्यूटर सहायक, तीन ड्राइवर और तीन अनुसेवक के पद सृजित किए जाएंगे।

बता दें धर्मार्थ संस्थाओं व मंदिरों की व्यवस्थाओं के लिए 1985 में प्रदेश में धर्मार्थ कार्य विभाग का गठन किया गया था। विभागीय मंत्री के अलावा इसका सिर्फ एक अनुभाग अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में शासन स्तर पर संचालित है। विभाग में निदेशालय की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।

दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन

सरकार अध्यादेश लाने से पहले इस संबंध में दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन कर रही है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धालुओं की सुविधा और धर्म स्थलों के रखरखाव आदि की व्यवस्था के लिए निर्देश दिए थे. सरकार पूरी कवायद को यही आधार मान रही है.

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