सेहत: घरों में लगातार बंद रहने से हो रही विटामिन डी की कमी, जरूर अपनाएं ये उपाय!

मथुरा। कोरोना महामारी के चलते बहुत से लोगों ने घरों से बाहर निकलना काफी हद तक कम कर दिया है। वहीं जो निकल भी रहे हैं, वह बस सुबह और शाम को। हालांकि कोरोना से खुद को बचाने के लिए यह सही भी है, लेकिन इससे हेल्थ को कुछ खतरा भी है। दरअसल इससे शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है। ऐसा सूर्य की रोशनी का शरीर तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाने से हो सकता है, क्योंकि विटामिन डी का प्रमुख स्रोत सूर्य की रोशनी ही है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉ. उमा कुमार के अनुसार विटामिन डी शरीर की इम्युनिटी को मेनटेन करने में सबसे जरूरी रोल निभाता है। इसके अलावा यह हडि्डयों को मजबूत बनाता है। शरीर के अन्य सभी तंत्रों को सही तरीके से चलाने में भी इसकी काफी अहम भूमिका होती है. इसलिए शरीर में विटामिन डी की कमी होने से खतरा बढ़ सकता है. हालांकि विटामिन डी को कभी खुद से नहीं लेना चाहिए, हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए।

किन लोगों को विटामिन डी लेने की जरूरत होती है
जो लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं उन्हें विटामिन डी लेने की जरूरत होती है। जो लोग लगातार केयर होम या फिर क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे हैं।

विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होने से कार्डियक मौत का खतरा
डॉ. उमा के मुताबिक शरीर में विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होने से कैल्शियम का लेवल काफी अधिक बढ़ जाता है, इससे कार्डियक डेथ का खतरा हो सकता है. इसलिए कभी भी खुद से सप्लिमेंट्स लेने की कोशिश न करें. विटामिन शरीर के लिए उतना ही जरूरी है, जितना अन्य तत्व. इसलिए इसे बस मेनटेन करने की जरूरत होती है. इसके लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है. वहीं शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त उपलब्धता से सामान्य जुकाम और फ्लू से भी बचा जा सकता है।

विटामिन डी की जरूरत क्यों होती है
मजबूत दांत और मांसपेशियों के विकास के लिए जरूरी।
विटामिन डी की कमी से हड्डियाम कमजोर हो जाती हैं।
इसकी कमी से बच्चों में रिकेट्स नाम की बीमारी हो सकती है।
वयस्कों में ऑस्टिमलेशा नामक बीमारी का खतरा।
इम्युनिटी कमजोर होती है।
किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने में असक्षमता।

विटामिन डी को लेकर ब्रिटिश एक्सपर्ट्स की सलाह
ब्रिटिश सरकार में सेहत और पोषण को लेकर काम करने वाली संस्था साइंटिफिक एडवाइजरी कमिशन ऑन न्यूट्रिशन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने कोरोना में विटामिन डी की भूमिका को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन जरूर लेना चाहिए. खासकर, उन लोगों को जो घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। हालांकि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने पूरे साल विटामिन डी की सप्लिमेंट लेने की सलाह दी है। पीएचई का कहना है कि जो बाहर नहीं जा पा रहे हैं या केयर होम में रह रहे हैं, उनके लिए विटामिन डी अलग से लेना इस समय बहुत जरूरी है। स्कॉटलैंड और वेल्स सरकारों के अलावा उत्तरी आयरलैंड की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने भी लॉकडाउन में विटामिन डी लेने की सलाह दी है।

सूर्य की रोशनी के अलावा विटामिन डी के स्त्रोत
मछली
अंडा
साबूत अनाज
मक्खन
दही
दूध

धूप लेने के दौरान क्या बरतें सावधानी
सन बर्न स्किन से बचने के लिए त्वचा को अच्छी तरह से ढक लें। सनस्क्रीन जरूर लगाएं ताकि धूप से त्वचा को बचाया जा सके।

विटामिन डी और कोरोना का आपस में कनेक्शन नहीं
डॉ. उमा के मुताबिक विटामिन डी और कोरोना का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है और न ही विटामिन डी कोरोना का ट्रीटमेंट है। हां, जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनके बीमार होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे लोगों में ऑटो इम्यून डिसीज की आशंका ज्यादा होती है लेकिन, विटामिन डी की स्क्रीनिंग बिना मतलब नहीं कराना चाहिए। पिछले सालों में हुई कम्युनिटी बेस्ड स्टडीज के मुताबिक देश में करीब 50 से 90% लोगों में विटामिन की कमी पाई गई थी।

क्या विटमिन डी से कोरोना को रोका जा सकता है?
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने विटमिन डी पर हुई रिसर्च की समीक्षा में बताया है कि इसके कोई सबूत नहीं हैं, जिसके आधार पर कहा जा सके कि विटामिन डी के सप्लिमेंट से कोविड-19 को रोका जा सकता है। हालांकि एक्सपर्ट्स इस बात से सहमत हैं कि महामारी के वक्त में विटामिन डी के कई फायदे भी हैं, इसलिए इसकी शरीर में इसकी कमी नहीं होनी चाहिए। बीएमजे न्यूट्रिशन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन डी खास चीजों के लिए दी जानी चाहिए न कि कोविड-19 के इलाज के तौर पर लेकिन, विटामिन डी शरीर में पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। वहीं कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति में विटामीन डी की कमी है और वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसे ठीक करना मुश्किल होता है।

क्या विटामिन डी का डोज अलग से लेना चाहिए?
डॉक्टर उमा के मुताबिक, विटामिन डी का डोज अलग से सुरक्षित नहीं होता है। इसलिए डॉक्टर से बिना पूछे कोई भी सप्लिमेंट न लें। यदि आप डॉक्टर की बताई डोज से ज्यादा लेते हैं तो इससे आपकी जान भी जा सकती है।

विटामिन डी का सप्लिमेंट लेते वक्त इन बातों का जरूर रखें ध्यान
शिशु (12 महीने से कम) को एक दिन में 25 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं देनी चाहिए
एक से 10 साल तक के बच्चों को एक दिन में 50 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं देना चाहिए।
वयस्कों को एक दिन में 100 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं लेना चाहिए।
जिन्हें किडनी की समस्या है उन्हें विटामिन डी का सप्लिमेंट नहीं लेना चाहिए।

विटामिन डी का सप्लिमेंट कहां से खरीदें
यह किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाती है।
ये विटामिन डी की गोलियों या मल्टीविटामिन की टैबलेट के तौर पर ली जा सकती हैं।

बच्चों, शिशुओं और प्रेग्नेंट महिलाओं को क्या करना चाहिए
मां का दूध पीने वाले बच्चों को जन्म से एक साल तक रोज 8.5 से 10 माइक्रोग्राम तक विटामिन डी का सप्लिमेंट दे सकते हैं।
एक से 4 साल तक के बच्चों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी का सप्लिमेंट दिया जा सकता है।
प्रेग्नेंट और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को भी हर दिन 10 माइक्रोग्राम की डोज दी जा सकती है.

दुनियाभर की स्टडी क्या कहती हैं?
एक स्टडी के मुताबिक, विटामिन डी से वायरल इन्फेक्शन और कोविड-19 के सिम्पट्म्स एमेलीओरेट और साइटोकाइन स्ट्रोम का खतरा कम होता है। यूरोप के 20 देशों में विटामिन डी को लेकर हुई एक स्टडी में पता चला है कि जिन देशों के लोगों में विटामिन डी का लेवल कम था, उनमें कोरोना वायरस के केस ज्यादा देखने को मिले. ऐसे लोगों की मौतें भी ज्यादा हुईं. खासकर, स्पेन, इटली और स्विट्जरलैंड के लोगों में विटामिन डी का स्तर काफी कम देखा गया था।

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