
यूनिक समय, मथुरा। वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में आज, मंगलवार से फूल बंगला सजाने की परंपरा की शुरुआत हो गई है। यह परंपरा कामदा एकादशी से लेकर हरियाली अमावस तक 108 दिनों तक जारी रहेगी। इस दौरान भगवान बांके बिहारी को विभिन्न प्रकार के फूलों से सजे बंगले में विराजमान किया जाएगा, जिससे भक्तों को विशेष दर्शन प्राप्त होंगे।
फूल बंगला बनाने के लिए भक्तों को आमतौर पर दो साल तक इंतजार करना पड़ता है। इन फूल बंगलों की विशेषता यह है कि भगवान बांके बिहारी को गर्मी से राहत देने के लिए हर दिन अलग-अलग प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में फूलों का चयन विदेशी और देसी फूलों का संयोजन किया जाता है, जिसमें आर्किड, रजनीगंधा, गुलदावरी जैसे फूल शामिल होते हैं।
स्वामी हरिदास जी द्वारा शुरू की गई यह परंपरा करीब साढ़े चार सौ साल पुरानी है। पहले फूल बंगला बनाने में केवल देसी फूलों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब विदेशी फूलों का भी उपयोग बढ़ गया है, जिससे इसकी लागत दस से पंद्रह लाख रुपये तक हो सकती है।
फूल बंगला की यह परंपरा 108 दिन तक चलेगी और भक्तों को दिव्य दर्शन प्रदान करेगी। यह विशेष सेवा चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी से लेकर हरियाली अमावस तक जारी रहती है, केवल अक्षय तृतीया के दिन इसे नहीं सजाया जाता। इस दौरान कुल 216 फूल बंगले बनते हैं, जो भगवान बांके बिहारी जी के भक्तों द्वारा अपनी मनोकामनाओं के पूर्ति के बाद अर्पित किए जाते हैं।
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