बलरई में श्रीराम कथा सुनने को उमड़े श्रद्धालु, समापन 17 को
मथुरा। भगवान श्री राम का जन्म ही यज्ञ के द्वारा हुआ था। उनके जन्म के लिए महाराज दशरथ ने श्रृंगी ऋषि के ब्रह्मत्व में अथर्ववेद के मंत्रों से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। श्रीराम का पूरा जीवन मर्यादा से युक्त था इसलिए तो आज लगभग साढ़े नौ लाख वर्ष बाद भी उन्हें याद करते हैं। उक्त बातें बलरई में चल रही श्रीराम कथा में कथा वाचिका एवं संस्कार जागृति मिशन की अध्यक्ष डॉ.अर्चना प्रिय आर्य ने कहीं।
उन्होंने कहा कि आज लोग श्रीराम की जय जयकार तो करते हैं लेकिन उनके आदर्शों का पालन नहीं करते हैं। तभी तो आज भाई भाई आपस में लड़ रहे हैं। कहा कि आज भी यदि माताएं कौशल्या की तरह तपस्वी हों तो फिर से राम हमारे घरों में पैदा हो जाएंगे। आरती आयोजक केसव सिंह द्वारा सपरिवार की गई और कथा प्रवक्ता का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इससे पूर्व प्रातः काल की बेला में आचार्य विपिन बिहारी द्वारा वैदिक विधि विधान से यज्ञ कराया गया। कथा में प्रमुख रूप से आचार्य सत्यप्रिय आर्य, विवेक प्रिय आर्य, महारूप सिंह, रघुवीर सिंह आर्य, शिव वर्मा आर्य, भुवनेश पाल आर्य, किशन सिंह आर्य, पूरन सिंह आर्य आदि उपस्थित रहे।
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