परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आधार का होगा बायोमीट्रिक सत्यापन, केवल आधार कार्ड जोड़ने पर रद्द हुए थे 28 लाख बच्चों के नामांकन
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आधार का अब बायोमीट्रिक सत्यापन होगा। इससे हाजिरी में होने वाली गड़बड़ी को रोका जा सकेगा और योजनाओं का लाभ पात्र बच्चों को मिल सकेगा। अभी विभाग ने सभी बच्चों का नामांकन आधार से जोड़ा है लेकिन अब सभी बच्चों के आधार कार्ड का सत्यापन बायोमीट्रिक आधार पर होगा। प्रदेश के सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में 1.92 करोड़ बच्चे नामांकित हैं।
इसमें सभी बच्चों के आंखों की रेटिना और उंगलियों की स्कैनिंग से सत्यापन किया जाएगा। इससे पहले विभाग ने पहले से बने हुए आधार कार्ड को बच्चे के नामांकन से जोड़ दिया है। वहीं जिन बच्चों के आधार कार्ड नहीं बने हैं, उनके आधार कार्ड विभाग बनवा भी रहा है। इस तरह के लगभग 20 लाख बच्चे हैं जिनके पास आधार कार्ड नहीं है।
बायोमीट्रिक सत्यापन के बाद विभाग को पता चल सकेगा कि पंजीकृत बच्चों में से कितने बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं या सिर्फ योजनाओं का लाभ लेने के लिए ही स्कूल आते हैं। इसके बाद बच्चों की हाजिरी बायोमीट्रिक की जाएगी। वहीं इससे यह भी जाना जा सकेगा कि कितने बच्चे सिर्फ योजनाओं के लिए पंजीकृत हैं और वे रोजाना स्कूल नहीं आते या फिर अन्य निजी स्कूलों में पंजीकृत हैं।
कई वर्षों पहले लखनऊ के एक ब्लॉक में बायोमीट्रिक हाजिरी का पायलट चलाया गया था लेकिन इसे आधार से लिंक नहीं किया गया था। इसकी स्टडी में सामने आया था कि रोज हाजिरी के लिए अलग-अलग अंगूठे इस पर लगाए गए। ऐसे बच्चे कम मिले जो रोज स्कूल आ रहे थे।
सरकार निशुल्क पाठ्यपुस्तक, जूते-मोजे, स्कूल बैग, स्वेटर व स्टेशनरी के लिए 1200 रुपये डीबीटी करती है। वहीं दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से स्टाइपेंड की व्यवस्था है। केजीबीवी में आवासीय सुविधा का लाभ देने के साथ सरकार साबुन, तेल मंजन, रजाई, गद्दा इत्यादि भी उपलब्ध करवाती है।
आधार से जोड़ने पर 28 लाख पाए गए थे फर्जी
बच्चों के नामांकन को आधार से जोड़ने में 28 लाख नामांकन फर्जी पाए गए। सरकार लम्बे समय से आधार को नामांकित बच्चों की संख्या से जोड़ने का प्रयास कर रही है। अभी शतप्रतिशत नामांकित बच्चों का आधार नहीं है। लेकिन अभी तक 28 लाख कागजी छात्रों का नामांकन रद्द कर सरकार 323 करोड़ रुपये बचा चुकी है।
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