यूनिक समय ,नई दिल्ली। संभल में भड़की हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि जांच में यह सामने आया है कि हिंसा सुनियोजित थी और इसके पीछे तुर्क और पठान समुदाय के बीच वर्चस्व की खूनी लड़ाई थी।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में यह सामने आया है कि हिंसा सुनियोजित थी और इसके पीछे तुर्क और पठान समुदाय के बीच वर्चस्व की खूनी लड़ाई थी, जिसने चार जिंदगियों को निगल लिया, जिनमें सभी पठान विधायक इकबाल महमूद अंसारी के समर्थक थे। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, हिंसा के मुख्य कारणों में तुर्क बनाम पठान और देसी बनाम विदेशी के मुद्दे को हवा दी गई। इसके कारण दोनों समुदायों के समर्थकों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया।
हिंसा की चिंगारी उस वक्त भड़क उठी जब तुर्क समुदाय के सांसद समर्थकों ने पठान समुदाय के विधायक इकबाल महमूद अंसारी के समर्थकों पर गोलियां चला दीं। इस गोलाबारी में पठान, सैफी और अंसारी समुदाय के लोग मारे गए। एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में ये खूनी खेल हुआ। अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि पुलिस की गोली से कोई हताहत नहीं हुआ और मारे गए सभी नागरिक विधायक के समर्थक थे।
वहीं संभल हिंसा में अब तक सात मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा के मामले में समाजवादी पार्टी (SP) के क्षेत्रीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क और संभल सदर सीट से सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल का नाम सामने आया है। पुलिस ने हिंसा में घायल हुए दारोगा दीपक राठी के बयान पर 800 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जिनमें बर्क और सुहेल इकबाल को नामजद किया गया है।
संभल पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि हिंसा की शुरुआत तुर्क और पठान समुदाय के बीच तनाव से हुई, जिसमें बर्क और उनके समर्थकों ने भड़काऊ बयान दिए थे। बर्क को पहले भी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 168 के तहत नोटिस दिया गया था, जिसमें उन्होंने जामा मस्जिद के संरक्षण को लेकर उकसाने वाली बातें की थीं। विश्नोई ने बताया कि यह हिंसा उस वक्त हुई जब जामा मस्जिद का सर्वेक्षण हो रहा था और उसके बाद पथराव और गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं।
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