
यूनिक समय, नई दिल्ली। उत्तराखंड ने आज देश में एक नया अध्याय जोड़ते हुए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक अवसर पर कहा कि यह दिन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए गौरवशाली है। उन्होंने कहा कि UCC के माध्यम से राज्य में सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे और समाज में समानता कायम होगी।
महिलाओं को मिलेगा अधिकार
सीएम धामी ने कहा कि UCC के लागू होने से महिलाओं को समान अधिकार मिलेंगे और हलाला, इद्दत, बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि यह कानून किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज में समानता लाने का एक प्रयास है।
कैसे होगा लागू?
UCC अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, पूरे उत्तराखंड राज्य में लागू होगा। राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर भी यह कानून लागू होगा। यूसीसी को लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। जबकि नगर पंचायत – नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।
UCC लागू होने से क्या बदलाव होगा?
- UCC लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा।
- सभी धर्मों में बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा, दूसरे धर्म का बच्चा गोद नहीं ले सकते।
- उत्तराखंड में हलाला और इद्दत जैसी प्रथा बंद हो जाएगी।
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- जायदाद में लड़के और लड़कियों की बराबरी की हिस्सेदारी होगी।
- किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के लिए तलाक का एक समान कानून होगा।
- हर धर्म और जाति की लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
- लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है।
- लिव-इन रिलेशनशिप वालों की उम्र 18 और 21 साल से कम है तो माता-पिता की सहमति लेनी होगी।
- लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को शादी शुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।
- यूनिफॉर्म सिविल कोड से शेड्यूल ट्राइब को बाहर रखा गया है।
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