
यूनिक समय, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा सुने जा रहे 50 से अधिक मामलों की नए सिरे से सुनवाई की जाएगी। इस संबंध में हाईकोर्ट ने अधिसूचना जारी कर दी है। जस्टिस वर्मा उस समय विवादों में घिर गए थे, जब 14 मार्च को उनके नई दिल्ली स्थित आवास में आग लग गई थी और आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। मामला बढ़ने के बाद जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया था। हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन जजों की कमेटी द्वारा आंतरिक जांच भी चल रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के दैनिक एजेंडे (एक दिन की सुनवाई के लिए निर्धारित मामलों की सूची) में निर्णय को अधिसूचित करते हुए नोटिस में कहा गया है, ‘सभी संबंधितों की जानकारी के लिए यह अधिसूचित किया जाता है कि निम्नलिखित मामले, जो माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और माननीय न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध थे, जिनके लिए अगली सुनवाई की तारीख दी गई है, लेकिन उन पर कोई आदेश पारित नहीं किया गया है, उन्हें पहले से दी गई संबंधित तारीखों पर रोस्टर बेंच के समक्ष नए सिरे से सूचीबद्ध और सुना जाएगा।’
नोटिस में सिविल रिट याचिकाओं सहित 52 ऐसे मामलों को सूचीबद्ध किया गया है। ये मामले 2013 से 2025 तक के हैं। इनमें संपत्ति कर से संबंधित एनडीएमसी अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कम से कम 22 याचिकाएं शामिल हैं। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को 24 मार्च को आधिकारिक रूप से न्यायिक कार्य से मुक्त कर दिया गया था। तब से, अधिवक्ता नियमित रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. वे मौखिक रूप से न्यायमूर्ति उपाध्याय के समक्ष अपने मामलों का उल्लेख कर रहे थे और खंडपीठ द्वारा सुने गए मामलों पर निर्देश मांग रहे थे, जिनमें सुनवाई की अगली तारीख तो दे दी गई, लेकिन कोई आदेश पारित नहीं किया गया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने वकीलों को मौखिक रूप से सुझाव दिया था कि वे इस आशय का एक आवेदन उनके निजी सचिव या न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को दें, साथ ही आश्वासन भी दिया था कि उनकी शिकायत पर विचार किया जाएगा। अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध कुल 52 मामले, जिनमें सुनवाई की अगली तारीख तो दे दी गई, लेकिन कोई आदेश पारित नहीं किया गया, अब इन मामलों की रोस्टर पीठ द्वारा पहले से तय तारीखों पर नए सिरे से सुनवाई की जाएगी।
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